श्री अनूप श्रीवास्तव ज़ी से अनुपम भेंट
आज का दिन बहुत ही सुखद संयोग बनकर आया, जो मुझे साहित्य के क्षेत्र की एक जानी मानी हस्ती, प्रतिष्ठित व्यंग पत्रिका अट्टहास के प्रधान सम्पादक एवं हमारे अभिभावक सदृश्य श्री अनूप श्रीवास्तव ज़ी के अलीगंज, लखनऊ स्थित आवास पर जाने एवं उनसे मिलने का अवसर मिला l कलम के इस योद्धा की पैनी कलम और नजर दोनों ही बेमिसाल है l अस्सी की उम्र में आपकी जो बौद्धिक और शारीरिक गति दोनों का शानी बहुत ही कम लोग होंगे l
मुझे देखकर लगा, कि इस गति के लिये जो ऊर्जा चाहिए, वह आंटी ज़ी का ख़ास साथ है l अपनी दो- तीन गंभीर बातों से आंटी ज़ी ने हमें आगे साहित्य यात्रा को कैसे बढ़ाया जाय, इसके मन्त्र दे दिए l आंटी ज़ी की मिठाई और चाय की मिठास को आंटी ज़ी के ममत्व के रूप में महसूस कर रहा था l आदरणीय ने अपने अतीत की जो चर्चा की उसकी खुशबु आपकी बातों में बाखूबी झलक रही थी l
विगत दिनों मारीशस साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर ज़ी के जन्मदिन पर अट्टहास का जो विशेषांक प्रकाशित हुआ, इसको जिस त्वरित गति से पूर्णता की तरफ पहुंचाया गया, यह आदरणीय अनूप श्रीवास्तव ज़ी एवं श्री रामकिशोर उपाध्याय ज़ी के ही बस की बात थी l इस मुर्धन्य साहित्यकार के घर में जो उपहार थे वे सभी आपकी साहित्यिक गंभीरता और ऊंचाई को बयां कर रहे थे l एक से एक बेशकीमती और भारी उपहारों को, आंटी जी जब अपने हाथों से लाकर मुझे दिखा रहीं थीं, तो मैं इस बात का अंदाजा लगा सकता हूं कि आदरणीय अनूप श्रीवास्तव जी के साहित्यिक जीवन में आंटी जी का कितना बड़ा योगदान है l
स्वतंत्र भारत जैसे समाचार पत्र के मुख्य सम्पादक रह चुके इस प्रसिद्ध सम्पादक एवं साहित्यकार से साहित्य का कोई कोना अनछुआ नहीं लग रहा था l
पत्रकारिता के क्षेत्र में आपकी यात्रा बेजोड़ रही l आप आप बाल कल्याण अनुसंधान परिषद के प्रसिद्ध बाल पत्रिका गिलहरी के संपादक रहे l हिंदी दैनिक गोरखपुर, स्वराज टाइम्स, निहारिका,दैनिक भास्कर झांसी और इंदौर,दैनिक मध्य प्रदेश, डेली एक्शन कानपुर, तथा दैनिक जनमोर्चा के अलावा आप लगातार 40 वर्ष तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्रसिद्ध अखबार स्वतंत्र भारत के मुख्य संवाददाता और संपादक रहे l
ऐसे श्रेष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकारिता के बादशाह के साथ के साथ समय बिताना, मेरे लिए सुखद था l भारत के पूर्व महामहिम उपराष्ट्रपति माननीय श्री भैरव सिंह शेखावत के साथ उनकी खींचवाई गयी, तस्वीर यादों की श्रृंखला की बेजोड़ प्रतीक है l आपने मुझे रश्मि प्रकाशन से प्रकाशित अपनी स्वरचित पुस्तक "अंतरात्मा का जंतर मंतर" भेंट किया l यह मेरे लिये, आपका आशीर्वाद स्वरूप ही था l