भाग्योदय कार्यालय पर सकारात्मक दृष्टिकोण के धनी, श्रम को सबसे बड़ा देवता मानने वाले, स्वजनों का आगमन सदा सुखद लगता है। बीते दिवस एक ऐसे उद्यमी बन्धु प्रज्ञाकुंज पधारे, जिनको हमने फर्श से अर्श तक उठते हुए देखा। हरदोई के एक साधारण गांव से निकलकर लखनऊ पहुंचे इन भाई को एक सम्बन्धी ने 25 वर्ष पूर्व मात्र ₹400 का सहयोग देकर अपना कुछ काम शुरू करने की सलाह दी थी। इन्होंने फुटपाथ पर कुछ सामान बेचने के काम की शुरुआत की, आज लाखों रुपए की सक्रिय दुकान के स्वामी हैं। वह न केवल स्वयं सफल उद्यमी बने, बल्कि लगभग 50 युवकों को विभिन्न ग्रामों से महानगर बुलाकर आत्मनिर्भर बनाया। आज उनके साथ एक बड़ा समूह व्यापार जगत में लक्ष्मणनगरी में सेवारत है।
प्रिय सत्य कुमार तिवारी! मैं आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। आप उन अनेक युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो अपनी बेरोजगारी के लिए सरकारों को कोसते रहते हैं। आपको देखकर अम्मा की वह बात याद आती है जिसमें वह कहती थीं- अपन हाथ, जगन्नाथ।