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रामलीला : रावण वध

पाताल में हनुमान ने अहिरावण तो राम ने किया रावण का वध ।

रावण वध
रावण वध

प्राथमिक विद्यालय, श्री रामलीला चौक वार्ड नंबर 6 प्रतीत नगर गांव रायवाला में लोक कल्याण समिति, प्रतीत नगर, रायवाला रजिस्टर्ड द्वारा श्री रामलीला महोत्सव में शुक्रवार के दिन आज मुख्य 04 मुख्य लीलाओं का मंचन किया जाएगा जिसमें-

 

पहला दृश्य – पाताल लीला

दूसरा दृश्य – अहिरावण वध

तीसरा दृश्य – रावण वध

चौथा दृश्य – सीता जी की वापसी ।

 

श्री रामलीला महोत्सव के मुख्य मंच उद्घोषक एवं लोक कल्याण समिति के प्रवक्ता विरेन्द्र नौटियाल (वीरू) ने जानकारी देते हुए बताया की शुक्रवार की लीला में मंचन करते हुए दिखाया की रावण अपने पुत्र की मृत्यु पर दुःखी हो जाता है। मंदोदरी रावण को अपने पुत्र की मृत्यु का कारण रावण की ज़िद्द और स्त्री के लिए लोभ को ठहराती है । भाईयों के मारे जाने से रावण व्याकुल हो जाता है। उसी समय उसे दैत्य अहिरावण की याद आती है। अहिरावण पाताल लोक में वास करता है। लंकेश्वर भगवान श्री राम और लक्ष्मण का वध करने के लिए पाताल लोक से लंका में बुलाता है। अहिरावण को भगवान श्री राम व लक्ष्मण का वध करने के लिए कहता है। अहिरावण आज्ञा का पालन करते हुए छल से भगवान श्री राम व लक्ष्मण को पाताल लोक ले जाता है। पाताल लोक में उनकी बलि देने के लिए अहिरावण तप करता है। अचानक भगवान श्री राम और लक्ष्मण के गायब हो जाने पर भगवान हनुमान परेशान हो जाते हैं। भगवान हनुमान अपने प्रभु भगवान श्री राम की तलाश में निकल पड़ते हैं। तलाश करते हुए पाताल लोक में पहुंच जाते हैं। वहां उनका सामना मकरध्वज से होता है। यहां दोनों के बीच युद्ध होता है। जब मकरध्वज बताता है वह उनका पुत्र है। उसके बाद भगवान हनुमान उससे कहते हैं कि वह मित्र व सेवक धर्म निभाते हुए श्रीराम , लक्ष्मण का बजरंग वली मुक्त करावकर पाताल लोक का राज मकरध्वज को देकर कंधे पर बिठाकर हनुमान भगवान श्रीराम लक्ष्मण को रामादल ले आते हैं। इस दौरान जय जय श्रीराम के जयकारे गूंज उठते हैं। 

 

रावण युद्ध करने के लिए जाता है तो उसे रोकने के लिए सुग्रीव हनुमान जी सभी रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन कोई भी रावण का सामना नहीं कर पाता। रावण विभीषण को देख कर क्रोधित हो जाता है और कहता है की सबसे पहले वो उसे ही मार देगा क्योंकि उसने अपने कुल के विनाश में साथ दिया था। रावण विभीषण को मारने के लिए शक्ति का इस्तेमाल करता है तो श्री राम उस शक्ति के प्रहार को अपने ऊपर ले लेते हैं। विभीषण यह देख कर रह नहीं पाता और रावण पर हमला कर देता है एक एक करके हनुमान जी सुग्रीव और जामवंत जी सभी रावण पर हमला कर देते हैं रावण जामवंत के वार से अचेत हो जाता है। रावण का सारथी रावण को बचाने के लिए उसे युद्ध के मैदान से दूर ले जाता है। श्री राम और रावण में थोड़ी देर के बाद फिर से युद्ध शुरू हो जाता है। शाम होते ही युद्ध समाप्त हो जाता है और अगले दिन के लिए युद्ध टल जाता है।

 

 

रावण रणभूमि में उतरता है। रावण की तैयारियों को देखने उपरान्त विभीषण का मन तमाम आशंकाओं से घिरता है। वह राम से कहते हैं कि रावण कवच धारण कर रथ पर आरूढ़ है जबकि राम कवच विहीन, रथ विहीन और नंगे पाँव हैं। वे किस भाँति पराक्रमी रावण का सामना कर पायेंगे। तब मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहते हैं कि मनुष्य को जीत के लिये लोहे और लकड़ी से बना रथ नहीं चाहिये। जीत के लिये आवश्यक रथ के पहिये शौर्य और धैर्य के बने होते हैं, सत्य और शील जिसकी दृढ़ पताका और ध्वजा है। बल, विवेक, दम और परोपकार ये चार घोड़े हैं जो क्षमा, दया और क्षमतारूपी डोरी से रथ में जोड़े गये हैं। ईश्वर भजन उस रथ का सारथी है और गुरुजनों का पूजन अभेद्य कवच है। ऐसा धर्ममय रथ जिसके पास हो, वह अजेय शत्रु को भी जीत सकता है। रावण का रथ वानर सेना को क्षति पहुँचाते हुए आगे बढ़ता है। हनुमान और अंगद भी उसे बहुत देर रोक नहीं पाते। लक्ष्मण बड़े भाई राम से आज्ञा लेकर रावण के सामने आते हैं। रावण लक्ष्मण के कई प्रहारों को विफल करता है। तब राम स्वयं रण में आते हैं। राम रावण से कहते हैं कि वह अपनी वीरता काफी बखानता रहा है, अब वह इसे करके भी दिखाये। राम रावण मोह और मृत्यु का भय त्याग कर युद्ध आरम्भ करते हैं। एक ओर धर्मपथगामी राम हैं तो दूसरी तरफ कामी फलकामी रावण है। सत्य और असत्य के बीच महासंग्राम में निर्णय की घड़ी आन पड़ती है। तभी रावण की दृष्टि विभीषण पर पड़ती है। वह उसे कुलद्रोही कहकर उसपर प्रचण्ड शक्ति आघात करता है। राम विभीषण को पीछे ढकेल कर शक्ति आघात को अपने वक्ष पर झेल जाते हैं। यह देखकर विभीषण, हनुमान, सुग्रीव और जामवन्त मिलकर रावण पर प्रहार करते हैं और उसे मूर्च्छित कर देते हैं। चतुर सारथी अपने महाराज पर संकट आया जान, रथ रणभूमि से बाहर ले जाता है। चेतना लौटने पर रावण सारथी पर क्रोधित होता है और वापस रणभूमि में ले चलने का आदेश देता है। विभीषण भी राम से शिविर में चलकर घावों का उपचार कराने को कहते हैं किन्तु राम छोटे मोटे घावों को क्षत्रिय की शोभा बताते हैं। राम रावण के बीच पुनः युद्ध आरम्भ होता है। दोनों तरफ से दिव्यास्त्रों का प्रयोग होता है। राम अपने चारों ओर एक अभिमंत्रित सुरक्षा कवच बनाते हैं और फिर रावण को अपने बाणों से ऐसा परेशान करते हैं मानो वे उसके साथ युद्ध नहीं कर रहे वरन् कोई खेल खेल रहे हों। सूर्य अस्त होता। अंगद युद्ध विराम का शंख बजाते हैं। रावण अगले दिन राम को काल के गाल में भेजने का दम्भ भरता है। राम रावण को अपना परलोक सुधारने की सीख देते हैं। आज का युद्ध अनिर्णीत रहता है। शिविर में लक्ष्मण राम के घावों पर औषधि का लेप लगाते हैं। लक्ष्मण को पश्चाताप होता है कि यदि वह उस दिन भाभी सीता के कटु वचनों को बर्दाश्त कर लेते और कुटिया से बाहर न जाते तो आज उनके जीवन में लंकाकाण्ड न लिखा जाता। राम उन्हें सांत्वना देते हैं कि यह सब विधि का विधान है। सम्भवतः धरती से पापियों के नाश की भूमिका रचने के लिये ही विधाता ने सीता हरण का अध्याय लिखा है। राम लक्ष्मण को अगले दिन युद्ध से पहले विश्राम करने भेजते हैं। युद्ध में आने के बाद वह श्री राम को ललकारता है और दोनों में भीषण युद्ध शुरू हो जाता है। श्री राम को विभीषण बताता है की रावण को ब्रह्मा जी का वरदान है उसकी नाभि में अमृत है जिसके कारण उसका अंत नहीं हो सकता पहले आप रावण की नाभि का अमृत सूखा दीजिए उसका अंत तभी हो सकता है। श्री राम रावण की नाभि में बाण मारते हैं और उसके अमृत को सूखा देते हैं उसके पश्चात श्री राम रावण का वध कर देते हैं। मरने से पहले रावण के मुख से श्री राम निकलता है और वह मार जाता है।

 

श्री राम रावण को परास्त कर लंका से पुष्पक विमान में बैठ कर सीता, लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव और विभीषण को साथ में लेकर अयोध्या राज्य में पहुँच जाते हैं और सबसे पहले वो भरत से मिलते हैं और उस से किया वादा पूरा करते हैं और चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करते ही अयोध्या लौट आते हैं। श्री राम अपनी जनम भूमि को प्रणाम करते हैं और अपनी माताओं और भाइयों से मिलते हैं।

 

 

लोक कल्याण समिति, प्रतीतनगर, रायवाला रजिस्टर्ड द्वारा ग्राम प्रधान अंजना अनिल चौहान, क्षेत्र पंचायत सदस्य बबीता रावत, ज्योति राजेश जुगलान, अर्द्ध सैनिक पूर्व सैनिक संगठन रायवाला, महिला मंगल दल, रायवाला, अध्यक्ष मैत्री संस्था, ऋषिकेश कुसुम जोशी, विकास अधिकारी एलआईसी राजेन्द्र जोशी, ममता उनियाल, श्यामपुर, पंचायत सदस्य सूरज क्षेत्री सहित नृत्य एवं सामाजिक कार्य करने वाले बच्चों को राम दरबार की माला एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । अतिथियों द्वारा लोक कल्याण समिती को आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई एवम शुभकामनाएं दी ।

अभिनय करने वाले पात्र श्रीराम– सौरभ चमोली, लक्ष्मण –अंकित तिवारी, सीता- अर्चित सेमवाल, भरत- विजय शर्मा , हनुमान – आशीष सेमवाल, रावण- प्रसिद्ध पंडित , विभीषण- दीपक जोशी, मंदोदरी- दीपक प्रजापति, जोकर– मनोज कंडवाल, नृतकी – वंशिका सहित अन्य कलाकारों ने सुन्दर अभिनय किया । इस दौरान श्री रामलीला महोत्सव के मुख्य मंच उद्घोषक एवं लोक कल्याण समिति के प्रवक्ता श्री विरेन्द्र नौटियाल (वीरू), मुख्य एवम वरिष्ठ निर्देशक श्री महेंद्र सिंह राणा, अध्यक्ष गंगाधर गौड़, सचिव नरेश थपलियाल , कोषाध्यक्ष मुकेश तिवाडी, सदस्य- नवीन चमोली, आशीष सेमवाल, राजेन्द्र प्रसाद तिवाड़ी, राम सिंह, राजेश जुगलान, गणेश रावत, दिव्या बेलवाल जिला पंचायत सदस्य हरिपुर कलां, संजय पोखरियाल, गोपाल सेमवाल, राजेन्द्र प्रसाद कुकरेती, राजेन्द्र प्रसाद तिवाड़ी, नितीश सेमवाल, अरुण डबराल, सन्नि सहित तबलावादक कमल रामानुज, ऑक्टोपैड वादक अशोक गर्ग सहित सैकड़ो की संख्या में भक्त उपस्थित रहे ।


Published: 26-10-2024

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