"अंतरात्मा का जंतर मंतर"की व्यंग्य रचनाएँ गम्भीर सरोकारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। जनोन्मुखता उनका सबसे बड़ा गुण है। यही कारण है उनकी रचनाएं पढ़कर पाठक तिलमिलाता है। आक्रोशित होता है। करुणा से भर जाता है। "अंतरात्मा का जंतर मंतर" की व्यंग्य रचनाएं इस कसौटी पर खरी उतरती हैं।
उन्होंने कहा अनूप जी के व्यंग्य का कैनवस बहुत विशाल है। राजनीतिक विद्रुपों पर उनकी दृष्टि तो है ही,इसके अलावा वे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य ,सामाजिक चेतना, साहित्यिक,आर्थिक, धार्मिक आदि विषयों से जुड़ी विसंगतियों पर भी शरसंधान करते हैं।इनकी कृति सरोकारों के स्तर पर बेहद समृद्ध है और पाठकों से पढ़े जाने की मांग करता है।
इस अवसर परअलीगंज पत्रकार कालोनी में आयोजित लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित व्यंग्य आलोचक सुभाष चन्दर का सारस्वत सम्मान हुआ।उन्हें माध्यम की ओर से परसाई सम्मान एवम अंग वस्त्रम,पुष्प से नवाजा गया ।उनके साथ ही वरिष्ठ व्यंग्यकार राजेन्द्र वर्मा और युवा व्यंग्यकार अलंकार रस्तोगी का भी सम्मान किया गया। वरिष्ठ पत्रकार और व्यंग्यलेखकअनूपश्रीवास्तव व्यंग्यकार आलोक शुक्ल, प्रसिद्ध साहित्यकार और कथाकर्मी संजीव जायसवाल संजय ने उनका सारस्वत सम्मान किया। उन्होने उनके साहित्यिक अवदान की चर्चा की।
अनूप जी के व्यंग्यसंग्रह अंतरात्मा की आवाज़ की चर्चा करते हुए राजेन्द्र वर्मा ने कहा अनूप जी के साहित्यिक अवदान से सभी परिचित हैं। संजय जायसवाल ने स्वतन्त्र भारत अखबार में कई दशकों में छपे उनके लोकप्रिय कालम 'काँव काँव' को पढ़कर हमारी पूरी पीढ़ी बड़ी हुई है। आलोक शुक्ल ने अनूप जी के संस्मरणो की चर्चा करते हुए अट्टहास पत्रिका की अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता की चर्चा की। अलंकार रस्तोगी नेअनूप जी को युवा रचनाकारों को व्यंग्यमन्च पर प्रतिष्ठित करने का श्रेय देते हुए कहा उन्होंने लखनऊ को व्यंग्य की राजधानी बना दिया।
वरिष्ठ पत्रकार शबाहत विजेता ने माध्यम से लंबे जुड़ाव की चर्चा की। प्रख्यात व्यंग्य लेखिका वीना सिंह और इंद्रजीत कौर ने कहा अनूप जी ने अट्टहास के द्वारा न केवल युवा व्यंग्यकारों को सशक्त मंच दिया है और सामाजिक सरोकारों से व्यंग्य को लोकप्रिय बनाने की महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई है।
इस अवसर पर दिल्ली की युवा कवयित्री रश्मि अग्रवाल की काव्य कृति "धूप की गुनगुन हमे दो", इंद्रजीत कौर के व्यंग्यसंग्रह ,"चुप्पी की चतुराई" प्रसिद्ध युवा कथाकार एवम व्यंग्य की समर्थ लेखिका वीना सिंह के व्यंग्य संकलन "भांति भांति के चमचे'" का लोकार्पण भी हुआ। अनूप जी ने अपने लेखन और व्यंग्य के लिए समर्पित रचनाकारो की चर्चा की।
इसके पश्चात आलोक शुक्ल, राजेंद्र वर्मा, संजीव जायसवाल संजय, शबाहत हुसैन ,अलंकार रस्तोगी, सुश्री इंद्रजीत कौर, सुश्री वीना सिंह, डॉ.शिव प्रकाश, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव आदि ने लघु व्यंग्य पाठ भी किया।
सुभाष चन्दर जी को अट्टहास हास्य व्यंग्य मसिक में पिछले वर्षो मेंउनके प्रकाशित व्यंग्य लेखों और हास्य कहानियों के अंक भी भेंट किये गए। एक लंबे अरसे बाद लोकार्पण समारोह के बहाने यह एक सुखद व्यंग्य सन्ध्या थी।