बढ़कर सब दिखती रहे,
कदम ताल की चाल,
विपक्ष है भौचक खड़ा,
समझ इसे भूचाल.
आदर भाव के लिए --
खड़े हैं विद द लैम्प .
कहने को कह लीजिए
अच्छे खासे स्टैम्प.
दिल्ली में अबकी पड़े
दो दो बड़े नहान.
शुरू हुए तो जोश में
जा पहुंचे खलिहान .
महंगाई ने है दिया,
बड़े बड़ों को चाल.
लोकतंत्र है बना दिया -
सचमुच का घुड़साल !
सहन शीलता के लिए,
रात रात भर बोल के ,
किया सभी ने भोर--
करके टीका टिप्पणी,
ऊंची कर ली मूंछ-
छणिक भाव मे देखिए,
किसकी कितनी पूंछ !
महंगाई है कर रही,
फुटकर में कल्याण.
साहब जी तो युग पुरुष,
मंत्री पुरुष पुराण ..
तालमेल के तेल से
अजब बना संयोग -
सभी यहां पर व्यास हैं
कदम कदम विनियोग .