अटल बिहारी बाजपेयी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि अटल जी, अटल थे, सबल थे और निर्बलों के बल थे, वे जिससे भी मिलते थे सहजता से उसके हृदय को छू लेते थे। अटल जी लोकसभा में हो या जन सभाओं में हो उनकी वाणी, उनकी विद्वता और उनकी नम्रता की त्रिवेणी समाज के हर वर्ग के व्यक्ति को छू लेती थी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कवि हृदय भारत रत्न, सौम्य स्वभाव के धनी कद्दावर नेता श्री अटल जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि सृजनशील, संस्कारशील और संवेदनशील अटल जी जाने से पहले हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को अपनी कविताओं की ऐसी रोशनी और जोश दे गये जो इस देश को सदियों तक रोशन और जागृत बनाये रखेगा। वे कुशल संगठन कर्ता थे; प्रखर प्रवक्ता थे और सफल राजनेता थे।
कितनी भी जटिल से जटिल समस्यायें हों या जटिल विषय हों उनका कवि हृदय सहजता से उन्हें सुलझा लेता था। उनका जीवन स्वयं के लिये नहीं बल्कि नये भारत के सृजन के लिये ही था।
स्वामी जी ने कहा कि आज अटल जी हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके द्वारा रचित कवितायें वर्तमान और आगे आने वाली पीढ़ियों का हमेशा मार्गदर्शन करती रहेंगी। उनकी कविताओं में देशभक्ति, राष्ट्र निष्ठा और देश के प्रति प्रेम से ओतप्रोत है, वे हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके विचार हमेशा जीवंत बने रहेंगे।
जिन्दगी से कभी हार न मानने वाले अजातशत्रु के विचार भारतीय संस्कृति और भारतीय मूल्यों से परिपूर्ण हैं। वे हमेशा देश के लिये जीते रहे, लोकतंत्र के लिये जीते रहे उनकी हर श्वास अपने राष्ट्र के लिये समर्पित थी। अटल जी का जीवन एक नदी की तरह था जिसमें अनगिनत धारायें होती हैं, शायद ही ऐसी कोई बात हो जिस पर उनका ध्यान न गया हो और जिनके लिये उन्होंने कोई समाधान प्रस्तुत न किया हो। उनका कभी हार न मानने वाला व्यक्तित्व हम सभी के लिये एक मिसाल है।स्वामी ने कहा कि अटल जी के सान्निध्य की अनेक यादें हैं जो राष्ट्र भक्ति और राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत कर देती है।