लखनऊ स्थित फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी की पहल से लखनऊ पब्लिक स्कूल के साथ दस दिवसीय कार्यशाला का आयोजन लखनऊ के चार स्कूल ब्रांचों पर किया है।
21 मई से प्रारम्भ इस वर्कशॉप में किसी भी उम्र के लोग भाग ले सकते हैं। इसी कार्यशाला शृंखला में राजाजीपुरम ब्रांच पर प्रतिभागी कला विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में पेपर मेशी माध्यम में पारंपरिक मुखौटा बनाना सीख रहे हैं।
कला विभागाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि गुरुवार को फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने कार्यशाला का अवलोकन किया साथ ही प्रतिभागियों को मुखौटे से जुड़ी कई महत्त्वपूर्ण जानकारीयाँ साझा की।
अस्थाना ने बताया कि मुखौटा एक मज़ेदार और रचनात्मक शिल्प है। पेपर मेशी माध्यम में मुखौटे बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए उपयुक्त और आसान माध्यम है। यह एक सस्ता और आसान तरीका है। इस माध्यम में अनेकों कलात्मक और सजावटी वस्तुएं बनाया जा सकता है।
पेपर मेशी (Papier mache) अर्थात "मैश पेपर" या "गला हुआ कागज". यह एक कला तकनीक है जिसमें पुराने पेपर को पानी में भिगोकर,अच्छी तरह से मसलकर लुगदी बना ली जाती है। और इसी लुगदी का उपयोग करके विभिन्न वस्तुओं और कलाकृतियों को बनाया जाता है।
ए ब्लॉक राजाजीपुरम की प्रिंसिपल श्रीमती भारती गोसाई ने कला के महत्व और पारंपरिक मूल्यों के साथ इसके गहरे संबंध पर जोर दिया।
प्रिंसिपल ने समर कैंप की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह युवा दिमागों के लिए कला के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़ने का एक मूल्यवान अवसर है। यह कार्यक्रम शिक्षा, परंपरा और रचनात्मकता का एक जीवंत मिश्रण होने का वादा करता है।