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कमलनाथ के रसूख की लड़ाई
विकल्प शर्मा : भोपाल : श्यामला हिल्स में कमलनाथ के आवास में प्रवेश करते ही जो बात सबको चौंका देती हैं. वह ये है कि हाल ही में सत्ता गवाने वाले नेता के धर में सन्नाटा नहीं पसरा हैं. हालात अभी भी ऐसे ही हैं जैसे कि वे अभी भी मुख्यमंत्री बने हुए हैं.
कमलनाथ के रसूख की लड़ाई
विकल्प शर्मा : भोपाल : श्यामला हिल्स में कमलनाथ के आवास में प्रवेश करते ही जो बात सबको चौंका देती हैं. वह ये है कि हाल ही में सत्ता गवाने वाले नेता के धर में सन्नाटा नहीं पसरा हैं. हालात अभी भी ऐसे ही हैं जैसे कि वे अभी भी मुख्यमंत्री बने हुए हैं. राज्य में भाजपा सरकार बनाने के लिए मार्च में सिंधिया के साथ पार्टी छोड़ने वाले 22 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे से उपचुनाव जरूरी हो गए है. तीन कांग्रेस विधायकों ने बाद में इस्तीफा दे दिया जबकि दो सीटे विधायको के निधन से खाली हुई हैं. अपने दम पर सत्ता में लौटने के लिए कांग्रेस को सभी 27 सीटे जीतनी होगी. 2018 विधानसभा के चुनावों के दौरान काग्रेस का चुनावी अभियान कमलनाथ और सिधिंया ने सयुक्त रूप से चलाया था जबकि दिग्विजय सिह परदे के पीछे से राणनीति बना रहे थे. उपचुनाव की सीटों में कांग्रेस के संगठन की ताकत बढ़ाने के लिए कमलनाथ ने अपने गढ़ छिंदवाड़ा के अनुभवों पर दांव लगा रहे हैं जिसका उन्होंने लोकसभा में 9 बार प्रतिनिधित्व किया है. पहले की तरह कमलनाथ जमीन पर स्थिति का आंकलन करने के लिए सर्वेक्षण करा रहें हैं. सभी 27 सीटे जीतने के लिए सक्षम उम्मीदवारों की तलाश में मदद और पार्टियों की कमजोरी की पहचान के लिए तीन सर्वेक्षण कराये गये हैं. कांग्रेस को विश्वास है कि गवालियर चंबल में विधायकों के पाला बदलने से जनता उन्हें घोर अवसरवादी के रूप में देख रही है. 27 में से 10 सीटें अनुसुचित जातियों के लिए और तीन अनु0ज0जाति के लिए आरक्षित हैं. गवालियर चंबल क्षेत्र की 16 में से 7 सीट आरक्षित हैं. दलित वोट बैंक सुरक्षित करते हुए कांग्रेस सोशल मिडिया पर दलितों के साथ हो रहे अत्याचारों को उजागर कर रही है. सिंधिया और भाजपा से मिले सदमे को कैसे लिया हैं तो कमलनाथ साफतौर पर कहते हैं कि इस छल के कारण मुझे निराशा तो हुई लेकिन न मुझे आश्चर्य हुआ न ही कोध्रित हूँ. मैं लोगों के पास जाउॅंगा और पूछूंगा कि मेरी गलती क्या थी. मेरी सरकार धोखे से क्यूँ गिराई लेकिन एक बड़ा सच यह भी हैं कि मध्यप्रदेश में अब कमलनाथ ही काग्रेस है और प्रदेश की जनता अभी भी बांह फैलाए खडे होकर अपने इस मसीहा के आने का इंतजार कर रही है. मजबूत प्रचारकों की कमी कांग्रेस की मुख्य परेशानियौं में एक है. भाजपा के पास भले ही चौहान और सिधिंया जैसे नेता हों लेकिन अब भीड़ जुटा पाना बड़ी परेशानी का सबब है.
Published:
15-09-2020
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