गाँधी निष्ठ समाजवादी चिंतक सूर्य कुमार की आज 71वी साल गिरह हैं l जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा को समर्पित कर दिया l 25 फरवरी 1954 को बहराइच जिले के विकास खंड प्यागपुर के ऐलो गांव मे एक साधारण किसान परिवार मे इनका जन्म हुआ था l इनकी माता का नाम जनक दुलारी और पिता का नाम नंबरदार सिंह था l विशुद्ध रूप से समाजवादी होने के कारण इन्होने अपने नाम मे जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया l क्षत्रिय होने के बाद भी कभी इन्होने अपने नाम मे सिंह नहीं लिखा l जातिवाद और साम्प्रदायिक वायु उन्हें छूने का साहस तक नहीं जुटा पायी l अपने सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अनुयायी रहे हैं l
इनकी प्रारंभिक शिक्षा पडोसी गांव स्थिति प्राथमिक विद्यालय मल्लंव मे हुई l इसके बाद इंटर मीडियट तक की शिक्षा के बी इंटर कालेज प्यागपुर मे प्राप्त की l इसी दौरान विज्ञानं वर्ग मे विज्ञानं परिषद की स्थापना की गयी l जिसके सूर्य कुमार उपाध्यक्ष चुने गए l इंटर मीडियट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए लखनऊ चले गए l
लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध शिया डिग्री कालेज से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की l फिर एलएलबी और एमपीए की शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से हासिल किया l
इसी कालखंड मे लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव हुए l उन्होंने छात्र संघ के इस चुनाव मे अपना मत कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी को दिया l इससे जाहिर होता है कि छात्र सियासत के दौरान सूर्य कुमार का झुकाव कम्युनिस्ट विचार धारा की ओर था l लेकिन आपात काल मे जेल यात्रा और कम्युनिस्ट विचारो मे आये भटकाव ने सूर्य कुमार की सियासी दिशा को मोड़ दिया l
आरम्भ से ही सूर्य कुमार का रुझान सामाजिक और राजनीतिक दिशा मे था l वे पूरी तरह से गाँधी वादी थे l उनके मन मस्तिक को जैसे सामाजिक खामिया कचोटने लगी थी l सामाजिक सरोकार उनकी नियत बन चुकी थी l बागी बलिया के शिरोमणि चंद्रशेखर के साथ गाँधी मंडप कन्याकुमारी से 6 जनवरी 1983 को चलकर 25 जून 1983 राजघाट नई दिल्ली तक करीब चार हजार किमी की पद यात्रा एक अविस्मरणीय पल रहा हैं l इस भारत यात्रा के बाद चंद्रशेखर जी ने भारत यात्रा ट्रस्टbकी स्थापना की l जिसका मुख्यालय भोंडसी हरियाणा मे बनाया था l जिसका एक केंद्र बहराइच जिले के प्यागपुर मे भारत यात्रा केंद्र के नाम से स्थापित किया l इस केंद्र को संचालित करने की जिम्मेदारी भी चंद्रशेखर ने सूर्य कुमार को सोपी l देश के नामचीन सियासी विभूतिया इस ट्रस्ट के ट्रस्टी थे l जिनमे एक नाम सूर्य कुमार का भी था l
इसके पहले 1974 मे बिहार राज्य मे जय प्रकाश नारायण की अगुवाई मे इंदिरा गाँधी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन चल रहा था l सूर्य कुमार भी जेपी आंदोलन मे शामिल हुए l जेपी मूवमेंट मे शामिल आंदोलनकारियों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया l वे करीब एक महीना जेल मे रहे l सरकार की दमनकारी रवैया आंदोलन को दबा नहीं सकी l दिनोदिन आंदोलन का विस्तार होता गया l 13 सितम्बर 1975 को इंदिरा गाँधी ने देश मे आपात काल लागू कर दिया l इस दौरान विपक्षी और जेपी मूवमेंट से जुड़े आंदोलनकारी नेताओं को गिरफ़्तार करके जेल मे डाल दिया गया l जेपी मूवमेंट से जुड़े होने के कारण सूर्य कुमार को भी गिरफ़्तार कर सालाखों के पीछे धकेल दिया गयाl
सूर्य कुमार ने करीब 14 महीने (सम्पूर्ण आपात काल ) जेल मे गुजारा l
सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन श्री कुमार कांग्रेस संगठन के नेताओं के संपर्क मे आये l वे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्त के निकट सहयोगी बन गये l यही से उनके राजनीतिक पारी का आगाज होता है l
यदि हम इनके राजनीतिक सफर पर नजर डाले तो आपात काल के बाद 1977 मे जनता पार्टी बनी l चंद्र शेखर जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष or मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने l इसी दौरान सूर्य कुमार चंद्र शेखर के सम्पर्क मे आये l सूर्य कुमार चंद्र शेखर के विचारों से काफ़ी प्रभावित हुए और वे आजीवन चंद्र शेखर के होकर रह गये l इन्होने अपना पूरा राजनीतिक जीवन चंद्रशेखर जी की छाया मे गुजरा l सूर्य कुमार चंद्रशेखर जी के प्रमुख विश्वास पात्र बन चुके थे l साल 1985 मे जनता पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन संवरा बलिया मे आयोजित किया गया था l चंद्रशेखर ने बहराइच से सूर्य कुमार को बुलाकर सम्मेलन की तैयारियो की जिम्मेदारी सोपी थी l
1983 मे कन्याकुमारी से दिल्ली के बाद भी सूर्य कुमार ने अनेको पद यात्राएं की l जिसमे यूपी के बहराइच जिले के चरदा से कटनी (मध्य प्रदेश ), तक 988 किमी, जय प्रकाश नगर बलिया से गाँधी मैदान पटना (बिहार) करीब 150 किमी, श्रावस्ती से आचार्य नरेन्द्र देव की समाधी स्थल लखनऊ तक करीब 300किमी, गाँधी आश्रम पूर्वी चम्पारण (बिहार ) से बेतिया (बिहार) तक करीब 250 किमी, की पद यात्राएं की l
सामाजिक सरोकारों से जुडी इनकी यात्राओं का सिलसिला अनवरत जारी रहा हैं l आचार्य नरेन्द्रदेव की समाधी स्थल लखनऊ से आगरा, मेरठ होते हुए दिल्ली, फिर जय प्रकाश नगर बलिया से आगरा होते हुए दिल्ली तक की साईकिल यात्राए संस्मरणों मे कैद हो चुकी हैं l
आपात काल के बाद विपक्षी दलों के आपस मे विलय के बाद जनता पार्टी का गठन हुआ था l सूर्य कुमार को जनता पार्टी के यूथ विंग, युवा जनता का महामंत्री बनाया गया l बाद मे जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और सचिव तथा महामंत्री की जिम्मेदारी निभाई l 1991मे समाजवादी जनता पार्टी बनी l सजपा की युवा इकाई के अध्ययक्षीय मण्डल के राष्ट्रीय चेयरमैन बने l उन्होंने सजपा के राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व का भी बखूबी निर्वहन किया l इसके पूर्व आचार्य नरेंद्र देव जन्म शताब्दी अभियान के लिए गठित जन अधिकार अभियान के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी पूरी की l
सूर्य कुमार की सामाजिक और राजनीतिक यात्राओं की ये प्रमुख पल रहे हैं l इनके अलावा अगिनत जेल यात्राएं, छोटी छोटी पद यात्राए, जैसे इनकी नियत बन चुकी थी l पूरा राजनीतिक जीवन चंद्रशेखर जी के सानिध्य मे गुजारा l चंद्रशेखर के निधन के बाद सजपा का समाजवादी पार्टी मे विलय हो गया l सपा मे भी प्रदेश इकाई मे रहकर अपना योगदान किया l इसी दौरान चंद्र शेखर के अनुयायी समाजवादियों ने प्रमुख समाजवादी चिंतको पर कुछ लिखने के लिए प्रेरित किया l समाजवादियों की प्रेरणा से प्रभावित होकर सूर्य कुमार ने समाजवाद के प्रकाश पुंज शीर्षक से एक किताब लिखी l इस पुस्तक मे आचार्य नरेन्द्रदेव, लोक नारायण जय प्रकाश नारायण, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया और चंद्र शेखर जी के विचारों को संग्रहित करने के साथ ही उन्होंने समाजवाद को गहराई से विश्लेशीत कर रेखांकित किया है l
मौजूदा समय मे सूर्य कुमार कलम के सारथी बन चुके हैं l सामाजिक, राजनीतिक,क्षेत्र मे सरकार की नीतियों की समलोचना, विश्लेषण कर अपने अनुभवों को सामाजिक धरातल पर साझा कर रहे है l जातिवाद, भाषावाद, सम्प्रदायवाद जैसी कुप्रथा इनको प्रभावित नहीं कर पायी l
आज सूर्य कुमार की 71वी सालगिरह हैं l हम उनके दीर्घायु होने की कामना करते हैं l साथ साथ इस ईश्वर से प्रार्थना करते है कि सूर्य कुमार का जीवन सूर्य के प्रकाश की तरह प्रकाश्यवान हो l उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि उनका सामाजिक मार्ग दर्शन और सुझाव समाज को दिगभर्मित होने से बचाते हुए सही दिशा देगा l
यह जगदम्बा प्रसाद किरमानी के खुद के कुछ संस्मरण और संकलित तथ्यो पर आधारित है।
- जेपी गुप्ता