एम पी में अब बंगले की सियासत
विकल्प शर्मा : भोपाल : मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों के बीच कमलनाथ और शिवराज सिंह चैहान के बीच आपस में बंगला सियासत को लेकर तलवारें खिंच गयी हैं. कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे 22 विधायकों को बंगले खाली करने की नोटिस से सियासत गरमा गई है. पूर्व मंत्री तरुण भनोट का बंगला तो सील कर दिया गया. पर उधर सिंधिया समर्थक इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, महेन्द्र सिंह सिसोदिया और प्रद्युम्न सिंह तोमर को नोटिस तक जारी नहीं किये गये हैं. जबकि पिछली बार भाजपा सरकार के कुछ मंत्री अब भी इन बंगलों पर काबिज हैं. सिंधिया के समर्थन में भाजपा में आये 16 विधायकों को आवास खाली करने के नोटिस दिये गये हैं. इधर भाजपा के वरिष्ठ विधायकों में विश्वास सारंग, जगदीश देवड़ा, रामपाल सिंह और कृष्णा गौर को नोटिस दिये गये थे लेकिन बंगले खाली नहीं कराये गये. उन्हें कोरोना संकट के कारण रिमाइन्डर भी नहीं दिया गया है. भाजपा के पूर्व अध्यक्ष प्रभात झा का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा हो गया है लेकिन बंगला उन्हीं के पास है. भाजपा विधायक रहे मनोहर अटवाल और कांग्रेस के बनवारीलाल शर्मा का निधन हो जाने के बाद उनके परिजनों ने जरूर आवेदन किया था कि अभी उनके आवास खाली न कराये जायें. भाजपा में हारे 16 विधायकों के पास उनके आवास यथावत हैं. नियमानुसार विधानसभा सदस्यता न रहने पर एक महीने के अंदर सरकारी बंगला या एमएमए रेस्ट हाउस में आवंटित आवास को खाली करना होता है. सभी को पूर्व विधायक हुए दो साल बीत चुके हैं। इनमें राज्यवर्धन सिंह, हरदीप सिंह डंग, जयपाल सिंह, बृजेन्द्र सिंह यादव, जसमंत जाटव, सुरेश धाकड़, रघुराज कसाना, गिर्राज दंडोतिया, कमलेश जाटव, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, मुन्नालाल गोयल, रक्षा सिरोसिया और मनोज चौधरी शामिल हैं. एंदल सिंह कसाना और बिसाहूलाल साहू को बंगले मिले हुए हैं. उप सचिव गृह आर आर भोंसले का इस संबंध में कहना है कि कुछ पूर्व मंत्री जो अब वर्तमान विधायक हैं उन्हे अब बंगले की पात्रता नहीं है. उन्हें भी नोटिस दिये गये हैं. इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभूराम चैधरी, महेन्द्र सिसोदिया और इमरती देवी के बंगले खाली कराये जाने के नोटिस नहीं दिये गये हैं. 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद जल संसाधन मंत्री बने हुकुम सिंह कराडा को भाजपा सरकार में मंत्री रहे पारस जैन का बंगला आवंटित किया गया था लेकिन जैन ने छह महीने तक बंगला खाली ही नहीं किया था. इसलिये कराडा को मंत्री बनने के बाद बंगले के लिये इंतजार करना पड़ा था.