संघ ने लगाई रधुवरदास की पाठशाला
विकल्प शर्मा : राष्ट्रीय स्वंय सेवक संध सीधे तौर पर भाजपा शासित प्रदेशों में दखल दे रहा है। बाकायदा मुख्यमंत्रियों की कार्यशैली में हस्तक्षेप कर उन्हें चेताने का मार्ग चुन रहा है यहीं नहीं संध का सीधे तौर पर संदेश है यदि आप नहीं सुधरे तो विकल्प तैयार है, रधुवरदास को भी ऐसा ही -हजयटका दिया गया है उनके विकल्प के तौर पर अर्जुन मुंडा का नाम उछल रहा है गौरतलव है कि मुंडा राजनाथ सिहं के विश्वासपात्र है और झारखंड में पंकज सिह की खदानों का काम देखते हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री रधुवरदास जब उत्तर पश्चिमी जिले पलामू में आयोजित दो दिवसीय भाजपा कार्यसमिति की बैठक को सम्बोधित करने के लिए उठे तो उन्होंने सामूहिक नेतृत्व के प्रति कटिवद्धता के बारे में बोलकर सबको चैका दिया, यह बात ऐसा व्यक्ति बोल रहा था जिसने 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से अकेले दम पर शासन किया और विवादित मसलों पर सहमति की बजाय पार्टी सहयोगियों और विपक्ष से बराबर लोहा लिया अतीत में रधुवर के पीछे लगातार खड़ा रहा केन्द्रीय नेतृत्व स्पष्ट तौर पर अब उनसे पार्टी के सभी नेताओं को निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाने ओर साथ चलने को कह रहा है। भाजपा की तीन सीटों पर उपचुनाव में हार हुई हैं इसमें एक सीट लोहरदगा की है जो दिसंबर 2015 में एनडीए के हाथ से चली गई थी बैठक से दो दिन पहले संध के सहकार्यवाह दत्रातेय हंसबोले ने मुख्यमंत्री के साथ बंद कमरे में बैठक की उसी दिन वे पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से भी मिले।
हाल ही मे मुडा ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी पिछले महीने लिट्टीपाड़ा के उपचुनाव में भाजपा की हार से यह संकेत निकला है कि दास आदिवासी और गैर आदिवासी के विभाजन को थामने में नाकाम रहें है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले विपक्ष ने परंपरागत काश्तकारी अधिनियम में सरकार के प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ इस विभाजन को हवा दी। भाजपा के शीर्ष नेता अर्जुन मुंडा ने भी इस मसले पर रधुवरदास के साथ सहयोग करने से इन्कार कर दिया जिससे मुख्यमंत्री के सामने संकट पैदा हो गया है। मुंडा, दास के लिए बड़ी समस्या बनकर उभर रहें है।