Media4Citizen Logo
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल
www.media4citizen.com

परमार्थ निकेतन : बाली से पहुंचे श्रद्धालु

बाली से पहुंचे  श्रद्धालु
बाली से पहुंचे श्रद्धालु
परमार्थ निकेतन में पद्मश्री अगस इंद्र उदयन, संस्थापक आश्रम गांधी पुरी, इंडोनेशिया के नेतृत्व में बाली से श्रद्धालुओं का दल आया। दल के सभी सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी के पावन सान्निध्य में विश्व ग्लोब का जलाभिषेक कर जल संरक्षण का संकल्प लिया।भारत की संस्कृति व गांधी के सिद्धान्तों को सेमिनारों, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं, शिविरों, अंतरधार्मिक संवादों और प्रार्थनाओं के माध्यम से वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने हेतु विशद् चर्चा हुई।
 
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बाली से आये श्रद्धालुओं के दल को गांधीवादी विचारधारा से अवगत कराते हुये कहा कि गंाधी जी का दर्शन हर युग के लिये प्रासंगिक है। इस वैश्विक एवं तकनीकी युग में वैश्विक स्तर पर सद्भाव और करुणा का वातावरण बनाए रखने और वसुधैव कुटुम्बकम्, विश्व एक परिवार है की कल्पना को साकार करने के लिये गांधी के सिद्धान्तों को आत्मसात करना नितांत आवश्यक है। महात्मा गांधी ने अहिंसा की बहुत ही सुन्दर व्याख्या की है ’’अहिंसा सिर्फ आदर्श नहीं बल्कि मानव मात्र का प्राकृतिक नियम है।
 
अहिंसा के पूर्ण पालन के लिये आस्था व ईश्वर में अटूट विश्वास जरूरी है अर्थात आध्यात्मिक जीवन शैली अपनाना आवश्यक है।उन्होंने  कहा कि गांधीवादी दृष्टिकोण, व्यवहारिक दृष्टिकोण है, उन्होंने उद्योग-शिल्प, भाषा, शिक्षा, वेश-भूषा आदि को स्वदेशी रंग में रंगने पर जोर दिया है। वे ‘स्वदेशी धरती’ पर स्वदेशी सामान और स्वदेशी संस्कृति स्थापित करना चाहते थे और आज इसकी नितांत आवश्यकता भी है। हस्त उद्योग, कुटीर उद्योग आदि अनेकों प्रयोग करते हुये कौशल विकास के माध्यम से गांव संस्कृति को जीवंत बनाये रखने हेतु गांधी ने विशेष जोर दिया ।
 
आज भारत ही नहीं पूरे विश्व को एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की जरूरत है जो कि वर्गविहीन, जातिविहीन और शोषणमुक्त हो। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति और समूह को अपने सर्वांगीण विकास का साधन और अवसर मिले।स्वामी ने कहा कि हम आज जितनी समस्याओं का सामना कर रहे हंै उनका समाधान हमारे संस्कारांेे, मूल्यों और मूल में समाहित है। हम एक बार पीछे पलट कर देखंे तो वर्तमान समस्याओं के सारे समाधान हमें खुद ब खुद मिल जायेंगे।
 
संस्थापक आश्रम गांधी पुरी, इंडोनेशिया, पद्मश्री अगस इंद्र उदयन जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी ने विश्व की सभी संस्कृतियों के समन्वय का एक मंच प्रदान किया है। उनका हृदय बहुत विशाल है, उन्होंने पद्मासना मन्दिर की स्थापना हेतु परमार्थ निकेतन जैसे दिव्य स्थान में माँ गंगा के पावन तट पर स्थान प्रदान किया यह भारत और बाली दोनों संस्कृतियों के दिव्य समन्वय का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती को बाली की संस्कृति का प्रतीक भेंट किया।
 
डॉ. मुजियोनो, एस.एजी., एम.एजी रेक्टर इंस्टीट्यूट अगामा हिंदू नेगेरी (आईएएचएन) टैम्पुंग पेनयांग पलंगका राया, पुतु पर्वत डीपीआरडी बडुंग बाली के प्रमुख, आई वेयान साड़ी डिका, निदेशक गांधी विचार अध्ययन और दल के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

Published: 26-08-2023

Media4Citizen Logo     www.media4citizen.com
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल