मनाया गया प्रथम स्थापना दिवस
शांति और सद्भाव को लेकर जिस प्रयास की शुरुआत को आज एक वर्ष पूरे हो रहे हैं। वह अपने आप में एक ऐसा टास्क है, जिसके जरिये समाज की सहज नैतिक परवरिश का उपक्रम है। शिक्षा, संस्कार, कौशल और मानवीय संवेदनाओं के समुच्चय के साथ प्रोफेसर आशा शुक्ला एवं प्रोफेसर रवीन्द्र शुक्ला द्वारा किया जा रहा है वह अनुकरणीय है।
यह बात मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रोफेसर वी. के. मल्होत्रा, चेयरमैन एमपी स्टेट फूड कॉर्पोरेशन मध्य प्रदेश ने आशा पारस फॉर पीस एंड हारमनी फाउंडेशन, भारत के प्रथम स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतर्गत सप्ताह भर चलने वाले शोध प्रविधि कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि समाज ही नहीं राष्ट्र के उत्थान में ऐसी समाजसेवी संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
प्रो. सुरेन्द्र पाठक ,सलाहकार ग्लोबल पीस फाउंडेशन, इंडिया ने मानवता पूर्ण वातावता पूर्ण व्यवहार को स्थापित करने वाले शोध की आवश्यकता है ।डॉ. अजय दुबे विभागाध्यक्ष योग अध्ययन विभाग द्वारा श्रीमद्भगवत गीता ज्ञान प्रसार प्रशिक्षण एवं शास्त्रीय प्राणायाम एवं ध्यान प्रशिक्षण कार्यक्रम के पोस्टर को लोकार्पण हेतु प्रस्तुत किया जो आगामी 30 जुलाई से प्रारम्भ हो रहा है।
प्रथम स्थापना दिवस के अवसर पर फाउंडेशन द्वारा शुरू किए गए पारस संवाद अर्धवार्षिक समाचार पत्रिका का लोकार्पण मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजकुमार आचार्य, कुलपति अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा मध्य प्रदेश द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में शिक्षा के अन्यान्य मंचों पर भारतीय संस्कृति के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज एवं लोकजीवन में आहार, विचार एवं योग्य व्यवहार पर अधिक ध्यान दिया गया है।
जैसा खाओ अन्न वैसा रहे मन को उद्धृत करते हुए बताया कि भारत ऋतुओं एवं जलवायु की विविधता वाला देश है। हमें आहार को सात्विकतापूर्ण रखना होगा जो हमारे विचार और कर्म दोनों परिलक्षित होता है। शांति और सद्भाव के लिए यह अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। उन्हों फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रसंशा करते हुए कहा कि यह जिस विजन को लेकर चल रहा है निश्चित रूप से मानव कल्याण और विश्व बंधुत्व को बढ़ाने में सफल होगा।
प्रोफेसर पी एन मिश्रा, पूर्व विभागाध्यक्ष देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने प्रस्तावना वक्तव्य देते हुए कहा कि अध्ययन की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए त्रुटियों को करने की व्यवस्थित तकनीकी को शोध कहते हैं। उन्होंने बताया कि पिछली साधी में समाजविज्ञान को सारगर्भित बनाने में शोध प्रविधि की अहम भूमिका रही है।
फाउंडेशन के प्रथम स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतर्गत विभिन्न अकामिक प्रकल्पों की शुरुआत इसके सारगर्भित होने का प्रमाण है। स्वागत उद्बोधन देते हुए पूर्व कुलपति एवं फाउंडेशन संस्थापक प्रोफ़ आशा शुक्ला ने प्रथम स्थापना दिवस के अवसर पर फाउंडेशन के व्यापक कार्यों और उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि समाज और राष्ट्र के उत्थान का यह सामूहिक प्रयास है।
योग, शोध, ध्यान और प्रशिक्षण यह समुन्नत प्रयास समाज को नई दिशा प्रदान करेगा। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए प्रोफेसर आर के शुक्ला ने कहा कि समाज के लिए समाज के प्रयासों का व्यस्थित पहल है। इस पहल में शामिल आप सभी आमंत्रित अतिथियों एवं सहभागियों का फाउंडेशन की ओर से आभार।