वहाँ के वृद्धजन वृद्धाश्रम नहीं जाते
यह बात आज सन्ध्याकाल भाग्योदय फाउंडेशन के तत्वावधान में इन्दिरानगर सेक्टर-14 में राम मड़ैया गली स्थित सिद्धेश्वर नाथ महादेव मन्दिर प्रांगण में आयोजित प्रभु श्रीराम चर्चा सत्संग महोत्सव के पहले दिन वृन्दावन से आये प्रख्यात कथाव्यास आचार्य सन्तोष भाईश्री ने कही। उन्होंने कहा कि बहुत से मनुष्य जीवन भर सत्संग करते हैं, लेकिन उनके आचरण में रत्ती भर भी बदलाव नहीं आता। जो लोग सत्संग को जीवन में उतार लेते हैं उनके स्वभाव में बड़े परिवर्तन आ जाते है और उनका आमूलचूल परिष्कार हो जाता है। आचरण में परिवर्तन के लिए श्रेष्ठजनों की संगति का होना बहुत जरूरी है। सत्संगति को आत्मसात करने पर जीवन का कल्याण होता है।
आचार्य सन्तोष भाईश्री ने भगवान शिव और सती की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान शिव ने बड़ी श्रद्धा से प्रभु श्रीराम की कथा सुनाई परन्तु सती महारानी ने उस कथा को आत्मसात नहीं किया। इस कारण उन्हें अपनी देह का परित्याग करना पड़ा। अगले जन्म में जब वह पार्वती बनकर आईं और शिवजी से जुड़ीं, तब सबसे पहले उन्होंने रामकथा सुनाने का आग्रह भगवान शिव से किया। उन्होंने कहा कि जो लोग सत्संग में नहीं जाते और रामकथा में नहीं बैठते, उनके आचरण बाहर से चाहे अच्छे दिखलाई पड़ते हों, परन्तु वह भीतर से वैसा ही घड़ा होते हैं जिसमें विष भरा होता है।
प्रथम दिन के सत्संग कार्यक्रम के समापन पर भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष व संस्थापक राम महेश मिश्र ने कहा कि यह श्रीराम कथा हमारी लक्ष्मणनगरी में जन-जन में संस्कारों को जगाएगी एवं बच्चों में अच्छे संस्कार पड़ेंगे। वह अपने माता-पिता की ठीक से सेवा करेंगे। समाज में एक अभिनव जागरण की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि जिन घरों में रामायण पढ़ी जाती है उन घरों के वयोवृद्ध माता-पिता वृद्धाश्रम नहीं जाते। इसलिए घर-घर में रामचरितमानस का दैनिक पाठ बहुत आवश्यक है। युगऋषि आचार्य श्रीराम शर्मा के वरिष्ठ शिष्य श्री मिश्र ने वैश्विक परिवर्तन के इन महान क्षणों में भारत के लोगों को एक नयी वैचारिक क्रांति से जुड़ने को कहा। भजनगायक राम नरेश वर्मा एवं निराला सिंह के भजनों से सजे मंच से श्री मिश्र ने बताया कि दृश्य और अदृश्य जगत की बड़ी सारी शक्तियां देवभूमि भारतवर्ष को हर तरह से सशक्त बनाकर उसे जगद्गुरु की पदवी पर प्रतिष्ठापित करने में जुटी हुई हैं।
सत्संग समारोह का शुभारम्भ सिद्धेश्वर नाथ महादेव मन्दिर में प्रातःकाल रुद्राभिषेक के साथ हुआ। तत्पश्चात सैकड़ों भक्तों ने मिलकर मंगल कलश यात्रा निकाली। सौभाग्यवती स्त्रियों ने अपने सिर पर मंगल कलश धारण किए, जिसकी छटा देखते ही बनती थी। भाग्योदय फाउंडेशन के संस्कार प्रमुख रामेन्द्र मिश्र ने श्रीराम कथा की पोथी को अपने सिर पर रखकर श्री राम जय राम जय जय राम के समवेत उद्घोष के साथ नगर भ्रमण किया। श्रीराम कथा का श्रीगणेश भाग्योदय प्रमुख राम महेश मिश्र एवं मंचव्यास आचार्य सन्तोष भाईश्री द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। इस अवसर पर अपूर्व माहेश्वरी, राजेश प्रसाद मिश्र, महेश शर्मा, जे.के.वर्मा, मक्खन लाल शर्मा, राजेश दीक्षित, जनार्दन गौड़, सविता खेतान सहित कई गण्यमान व्यक्ति मौजूद रहे।