समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया
ओशो नानक ध्यान मंदिर मुरथल में 9 जुलाई से 14 जुलाई 2023 तक संत समागम कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। जिसमें विशेष संतो ने अपनी साधना और सदगुरू के बारे में गूढ़ रहस्यों को उजागर किया।
राधा स्वामी दिनोद के संचालक सन्त कवर साहेब महाराज जी ने बताया कि समाज को अच्छे बनाने से पहले स्वयं का सुधार जरूरी है। सभी से प्रेम करना चाहिए और माता पिता की सेवा करनी चाहिए। सद्गुरु के निर्देश में ही साधना करे और मानव जीवन को सफल बनाना चाहिए। 84 लाख योनियों में केवल मनुष्य ही साधना कर सकता है।
जैन सम्प्रदाय के विवेक मुनि जी ने बताया कि मनसा वाचा कर्मणा में अहिंसा होनी चाहिए और सभी का मंगल करना चाहिए। गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी डा. शाश्वतानन्द जी ने बताया कि सनातन धर्म में साक्षी की साधना भगवान श्री कृष्ण ने दी और कर्मयोगी बनना चाहिए । भोगों से उठकर और साधना करने से आत्मा की अमरता की अनुभूति होती है। ओशोधारा के भागीरथ समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी ने बताया कि सनातन धर्म के प्रथम प्रस्तोता भगवान शिव है।
भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान बुद्ध, गुरु नानक , संत कबीर, संत मीरा , संत सहजोबाई आदि ने सनातन धर्म को ही बताया। फिर ओशो ने सनातन धर्म के प्रस्तोता की भूमिका निभाई। विज्ञान अनुसन्धान पर जोर देता है ऐसे ही वैज्ञानिक सनातन धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है जिसमें साधना के द्वारा आत्मा और ब्रह्म को जाना जा सकता है। ओशोधारा के 28 ध्यान योग और सुमिरन कार्यक्रमऔर 42 प्रज्ञा का कार्यक्रम जनमानस की समृद्धि और आत्म विकास में सहायक है।
संत समागम के सयोजक आचार्य कुलदीप ने सुन्दर मंच संचालन किया। श्री दक्षिण काली पीठ पेहवा एवं अन्य राज्यो में स्थापित आश्रमों के संस्थापक परमाध्यक्ष एवं स्थानेश्वर महादेव मन्दिर के महन्त बंसीपुरी जी महाराज , श्री गोविंदानंद आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरी जी महाराज, नगली वाली कुटिया पिहोवा की महंत संत आत्म विभोर पुरी जी महाराज , महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरि जी महाराज और महामंडलेश्वर स्वामी विकास दास जी महाराज का आभार ओशोधारा केंद्रीय सयोजक आचार्य दर्शन, ओशोधारा संघ हिमाचल के सयोजक डा. सुरेश मिश्रा एवं वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक प्रदेशाध्यक्ष राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद, डा. संजीव कुमारी अंतरराष्ट्रीय सनातन धर्म प्रचारक ने आभार जताया।
देश विदेश से 500 से ज्यादा साधकों ने संत समागम का आनन्द उठाया और साधना की।