अब सोनिया गांधी को पत्र भेजकर हस्तक्षेप किए जाने की लगाई गुहार
पत्र में कहा गया है कि राजस्थान में जब से किसानों की फसल रक्षा के नाम पर नीलगाय हत्या कानून बना, तब से उसका मुखर विरोध होता आ रहा है। खुद प्रदेश के किसान भी नीलगायों की हत्या संबंधी कानून के विरोधी रहे है। वे उसे भी प्रकृति की अनुपम संतान व गाय समान समझते आए हैं। यह अफसोसजनक है कि कथित रामभक्त भाजपा शासन में नीलगाय हत्या के नए नए क्रूर कानूनी प्रावधान बनते आए लेकिन राज्य में अब कांग्रेस की गांधीवादी सरकार के होने पर भी अभी तक नीलगाय हत्या कानून व क्रूर प्रावधान समाप्त नहीं हो पाएं। सैकड़ों संगठनों और हजारों-लाखों लोगों की आवाज उठाने के बाद भी सत्ताधीश चुप हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रदेश में काफी वर्षों से नीलगाय हत्या कानून के लगातार हो रहे जनविरोध के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले महीने ही 22 अप्रैल को नीलगायों सहित अन्य निराश्रित पशुओं से किसानो की
फसल सुरक्षा हेतु अहिंसक उपाय करते हुए कटीले तारबंदी हेतु 444 करोड़ रूपए से भी अधिक की राशि एक लाख किसानों के लिए स्वीकृत कर दी है लेकिन नीलगाय हत्या कानून को रद्द करने की घोषणा अभी तक नहीं की गई। पत्र में यह भी कहा गया है कि जब प्रदेश का एक प्रतिशत भी किसान नीलगाय हत्या कानून के पक्ष में नहीं है और न ही वह इस कानून का उपयोग करता है फिर यह कानून है किसके लिए? पत्र में यह भी बताया गया है कि इस संदर्भ में पूर्व में राहुल गांधी व प्रियंका गांधी सहित राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को सकती है। अलग-अलग रजिस्टर्ड पत्र भेजे गए मगर न कोई उत्तर और न कोई एक्शन हुआ, तब मजबूर होकर आपको अंतिम पत्र भेजकर बेजुबान नीलगायों को प्राणदान दिलवाने के लिए हस्तक्षेप हेतु अपील की जा रही है। चूंकि आप एक करूणाशील मां है, इसलिए अब आपसे ही महात्मा गांधी, भगवान महावीर, महात्मा गौतम बुद्ध के अहिंसावादी लोगों को न्याय, करूणा, अहिंसा धर्म की रक्षा की ढेर सारी उम्मीदें है। बेजुवान नीलगाय भी जीना चाहती है और उसकी पीड़ा एक मां ही सबसे अधिक अनुभव कर सकते हैं।