योगी के नेतृत्व में समृद्धि की नई इबारत
उत्तर प्रदेश, जो अपनी उपजाऊ भूमि और कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है, एक नए परिवर्तन के युग में प्रवेश कर चुका है। विश्व मृदा दिवस (5 दिसंबर) के अवसर पर, यह आवश्यक है कि हम योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में किए गए व्यापक सुधारों पर ध्यान दें। उत्तर प्रदेश न केवल देश के सबसे बड़े कृषि उत्पादक राज्यों में से एक है, बल्कि राज्य की 70% से अधिक जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। धान, गेहूं, गन्ना, आलू और फल-सब्जियों के उत्पादन में अग्रणी यह राज्य पिछले कुछ दशकों से जलवायु परिवर्तन, मृदा क्षरण और पारंपरिक कृषि प्रणालियों की कमजोरियों के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा था।
पिछली सरकारों की उदासीनता के कारण मृदा की उर्वरता घट रही थी, किसानों की आय में गिरावट हो रही थी और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि संकट गहराता जा रहा था। लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने इन समस्याओं को दूर करने के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाया। किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि को टिकाऊ, आधुनिक और समृद्ध बनाने के लक्ष्य के साथ राज्य सरकार ने कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में ठोस कदम उठाए। मृदा स्वास्थ्य सुधारने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का सफल कार्यान्वयन इस दिशा में एक बड़ा कदम था। अब तक 2.54 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, जिनसे किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी मिली। इस योजना ने संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा दिया, जिससे खेती की लागत में 20-30% तक की कमी आई और फसल उत्पादन में वृद्धि हुई।
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने बुंदेलखंड और गंगा के किनारे के क्षेत्रों में 50,000 हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती को बढ़ावा दिया। जैविक उत्पादों के लिए विशेष बाजार बनाए गए, जिससे किसानों को उनके उत्पादों की प्रीमियम कीमत प्राप्त हुई। इन प्रयासों से 2023 तक राज्य को जैविक उत्पादों के निर्यात से ₹500 करोड़ की आय हुई, और अगले दो वर्षों में यह आंकड़ा दोगुना होने की संभावना है। सिंचाई के मोर्चे पर, योगी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाए। हर खेत को पानी योजना के तहत अर्जुन सहायक परियोजना जैसी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा किया गया, जिससे 4.5 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिला। पारंपरिक जल स्रोतों जैसे तालाबों और कुओं का पुनरुद्धार किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्तर में सुधार हुआ। बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना, जो आने वाले वर्षों में पूरी होगी, लगभग 8 लाख किसानों को सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी। माइक्रो-इरीगेशन तकनीकों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर को बढ़ावा देकर पानी के उपयोग में 40% तक की बचत सुनिश्चित की गई।
योगी सरकार ने कृषि यंत्रीकरण और डिजिटल क्रांति के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में भी बड़े कदम उठाए। किसानों को सब्सिडी पर ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराए गए, जिससे कृषि कार्य आसान और कुशल हुआ। ई-गन्ना ऐप और कृषि साथी पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने किसानों को फसल भुगतान में पारदर्शिता और सुविधा प्रदान की। फसल बीमा योजना के तहत किसानों को ₹8,000 करोड़ की वित्तीय सहायता सीधे उनके खातों में दी गई। इसके अलावा, कृषि स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, स्मार्ट खेती और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश, जो गन्ना उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, ने गन्ना किसानों के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। गन्ना मूल्य भुगतान में योगी सरकार ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, अब तक ₹2.01 लाख करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान किया जा चुका है। बंद चीनी मिलों को फिर से चालू किया गया और नई मिलों की स्थापना से 50,000 से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए। गन्ने से इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहन देकर किसानों की आय बढ़ाने के एक नए आयाम की शुरुआत की गई है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए भी ठोस कदम उठाए। वृक्षारोपण अभियानों के तहत 30 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए। गंगा के किनारे बायो-फेंसिंग और जैव विविधता को बढ़ावा दिया गया, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित हुई।
योगी सरकार की इन योजनाओं का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। किसानों की औसत आय में 30% की वृद्धि हुई है। कृषि उत्पादन में उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय योगदान 25% से बढ़कर 30% हो गया है। जैविक और निर्यात-उन्मुख उत्पादों के माध्यम से राज्य को ₹1,200 करोड़ तक के राजस्व की संभावना है। हालांकि, इन उपलब्धियों के बावजूद चुनौतियां बनी हुई हैं। जलवायु परिवर्तन, सीमित भूमि संसाधन, और बढ़ते शहरीकरण के दबाव को ध्यान में रखते हुए, राज्य को सतत कृषि और नवाचार आधारित तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
विश्व मृदा दिवस के अवसर पर, यह कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने कृषि क्षेत्र में पुनरुद्धार की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। यह केवल मृदा संरक्षण का प्रयास नहीं है, बल्कि किसानों की समृद्धि और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का अभियान है। "मिट्टी स्वस्थ, तो किसान मस्त," यह दृष्टिकोण न केवल उत्तर प्रदेश के किसानों को समृद्धि प्रदान करेगा, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बनेगा।
लेखक : आसिफ़ ज़मां रिज़वी
युवा मुस्लिम भाजपा नेता
(पूर्व सह-प्रभारी – झारखण्ड, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा;)