विश्व शिक्षक दिवस 2024 को चिह्नित करने के लिए ऑनलाइन खुली इंटरैक्टिव चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में शिक्षकों पर यूनेस्को की वैश्विक रिपोर्ट को एक परिदृश्य निर्माता के रूप में लिया गया। जिसमें बढ़ते संघर्ष, जबरन विस्थापन और जलवायु संबंधी जोखिमों के बीच बच्चों, युवाओं और किशोरों पर शिक्षकों की कमी के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार किया गया।
अपने संगठन के शोध और प्रोग्रामिंग के आधार पर अतिथियों को प्रतिक्रिया देने के लिए आमंत्रित किया गया था।आपातकालीन स्थितियों में शिक्षकों को प्राथमिकता , चुनौतियों का समाधान कैसे करते पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। प्रारंभिक टिप्पणियों के बाद, सदस्यों को चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।
जिनकी चर्चा आपातकालीन स्थितियों में शिक्षकों के काम और शिक्षा परिणामों को परिभाषित करने वाली राजनीति, नीतियों और प्रथाओं का पता लगाने पर संदर्भित रही। वैश्विक स्तर के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भारत से अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविद एवं लेखिका डॉ. संजीव कुमारी एवं अंतर्राष्ट्रीय विभूति डॉ. राकेश छोकर की सहभागिता रही। इस अवसर पर उन्होने पटल पर अपनी सारगर्भित टिप्पणी दी।
अतिथि चर्चाकर्ता कार्लोस वर्गास तामेज़ , सचिवालय प्रमुख, यूनेस्को टास्कफोर्स ऑन टीचर्स फॉर एजुकेशन 2030, डैनी फॉक , वरिष्ठ शोधकर्ता, ईआरआईसीसी / अंतर्राष्ट्रीय बचाव समिति, नीना पापाडोपोलोस, वरिष्ठ सलाहकार, यूएनएचसीआर प्रमुख रहे। पेट्रा ह्यूसर , कार्यकारी निदेशक, आपातकालीन शिक्षा के लिए जिनेवा ग्लोबल हब, क्रिस हेंडरसन , आपातकालीन शिक्षा विशेषज्ञ की भूमिका सराहनीय रही।
- वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक