आज है शरद पूर्णिमा अर्थात् कोजागरी लक्ष्मी पूजा, इस दिन मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजन और श्रवण करने का विधान है, आज सभी दुर्गा पंडालों और घर घर में मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखकर पूजा की जाती हैं, सुबह से ही या यों कहें कल से ही पूजा की तैयारी प्रारंभ हो जाती है।
लैय्या, खील, चूरा, नारियल आदि के नाना प्रकार के लड्डू और प्रसाद बनाए जाते हैं, जिसकी तैयारी महिलाएं एक दिन पूर्व ही प्रारंभ कर देती हैं, दूसरे दिन सुबह पूजा स्थल और पूरे घर की साफ सफाई कर चावल से घर के प्रवेश द्वार से लेकर पूजा स्थल तक रंगोली बनाई जाती है।
मां की पूजा में सफेद रंग का विशेष महत्व है, सफेद फूल, भोग निवेदन में नारियल, लईया, चूरा , बताशा, खील गट्टा के साथ दूब, धान, पुष्प,सुपारी, चंदन आदि सामग्री का होना इस पूजा में आवश्यक माना गया है ।
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, शाम को पूजा पुष्पांजलि, आरती, होम, प्रसाद और भोग निवेदन के बाद सब एक साथ बैठकर मां का प्रसाद ग्रहण करते हैं। मां लक्ष्मी को शांति प्रिय देवी कहा जाता है, इसलिए इनकी पूजा में घंटा ध्वनि वादन निषेध है, शंख का होना शुभ माना जाता है। कोजागरी अर्थात कौन जागता है इसलिए किवदंती है कि जो भी श्रद्धा और भक्ति भाव से आज रात भर जागकर मां का ध्यान करता है मां उसे धन धान से परिपूर्ण रखती है। चूंकि आज ही अमृत वर्षा होती है इसलिए खीर बनाकर खुले स्थान पर रात भर रखने की भी विधान है कहते हैं जब चंद्रमा की उजली रश्मियां उस पर पड़ती हैं तो वो अमृत बन जाता है और फिर दूसरे दिन उस अमृत प्रसाद सभी ग्रहण करते हैं ।
- बबिता बसाक, लखनऊ