संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति सहित ऋषिकेश और हरिद्वार के ट्रांसपोर्टर ने इस व्यवस्था का विरोध किया है। इनका तर्क है कि इस व्यवस्था से यात्रियों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ेगा। जबकि परिवहन कंपनियां सोनप्रयाग और गौरीकुंड तक बस सेवा उपलब्ध कराती आ रही है। नई व्यवस्था को समाप्त न किए जाने की स्थिति में परिवहन व्यवसाययों ने चक्का जाम और आंदोलन की चेतावनी दी है।
संयुक्त रोटेशन ऋषिकेश कार्यालय में शनिवार को परिवहन व्यवसाययों की बैठक रोटेशन के अध्यक्ष नवीन चंद रमोला की अध्यक्षता में बुलाई गई। अध्यक्ष ने कहा कि अगस्त्य मुनि से सोनप्रयाग तक शटल व्यवस्था के अंतर्गत यात्रियों को भेजे जाने का निर्णय अव्यवहारिक है। इससे यात्रियों को अतिरिक्त भाड़ा देना होगा। वर्षों से परिवहन कंपनियों की गाड़ियां उबड़-खाबड़ रास्तों पर अपनी सेवाएं देती आ रही है।
नई व्यवस्था से इन पर भी असर पड़ेगा। उपस्थित सदस्यों ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में जाम लगने का मुख्य कारण निजी प्राइवेट चार पहिया वाहन है, जो बड़ी संख्या में संचालित हो रहे हैं। उनके चालक के पास हिल लाइसेंस नहीं होता है। प्राइवेट वाहनों के चालक पहाड़ी संकरे मार्ग पर गाड़ी चलाने में निपुण नहीं होते हैं।
जिस कारण सड़क पर जाम और दुर्घटनाएं घटती है। प्रशासन को चाहिए कि इन निजी चार पहिया वाहनों के यात्रियों को शटल सेवा उपलब्ध कराई जाए। मौके पर संयुक्त रोटेशन के पूर्व अध्यक्ष संजय शास्त्री , परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय, यातायात कंपनी के पूर्व अध्यक्ष मनोज ध्यानी, जीएमओ के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल, टीजीएमओ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह नेगी, भोपाल सिंह नेगी, नंदन भंडारी, कृष्णा पंत, विनोद भट्ट, बृजभानु प्रकाश गिरी, नरेश गोयल सहित अन्य मौजूद रहे।