भगवान् शिव भारतीय धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं. ब्रह्मा और विष्णु के त्रिवर्ग में इनकी गणना होती है. पूजा में भी उनकी और उनकी शक्ति की ही प्रमुखता है. उन्हें सहजता की मूर्ति कहा जाता है. वो शीघ्र प्रसन्न होते है इसलिए उनका नाम आशुतोष है. वह इतने सरल हैं कि कोई भक्त उन्हें प्रेमभाव से बेलपत्र भी भेंट कर दे तो वह प्रसन्न हो जाते हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से विशालकाय तीर्थ सम्पूर्ण भारत में स्थापित हैं. आनंद धाम आश्रम दिल्ली में उनका भव्य पशुपतिनाथ मंदिर, बारह ज्योतिर्लिग, सिद्ध शिखर और स्थल स्थल पर उनकी सुन्दर मूर्तियाँ स्थापित हैं.
भगवान शिव सर्वव्यापी और निराकार हैं. संसार की संरचना में ब्रह्मा के साथ साथ उनका मूर्धन्य स्थान है. उन्हें श्मशानवासी कहा जाता है. अर्थात जैसे जन्म सरल सहज प्रक्रिया है वैसे ही प्रत्येक मनुष्य की यात्रा श्मशान तक सरल और सहज मानी जाये. उनके शरीर पर बाघ का चर्म है जो साहस का प्रतीक है. देवताओं और असुरों द्वारा समुद्रमंथन के समय निकले चौदह रत्नों में विष भी था , किन्तु उसे ग्रहण करने को कोई तैयार नहीं था. केवल भगवान् शिव तैयार हुए किन्तु उन्होंने उसे गले तक ही रखा जिसका अर्थ माननीय गुरुदेव बताते हैं कि दुनिया की कड़वी बातें सुन लो लेकिन उन्हें गले तक ही रखना. इसी कारण शिव का नाम नीलकंठ भी है.
भगवान् शिव गृहस्थ होकर भी योगी हैं. वह आदिशक्ति माँ गौरी, गणेश जी, कार्तिकेय जी और नंदी के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान हैं. वह माँ गौरी का बहुत सम्मान करते हैं. शिव सात्विकता के प्रतीक हैं. डमरू बजा कर मस्त रहते हैं. शिव सबका कल्याण करते हैं.
शिवरात्रि की बहुत बहुत बधाई.