प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ एवं समाजसेवी सतीश ने कहा कि कौशल-विकास के द्वारा रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं. स्वरोजगार के द्वारा हम भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं.
वे शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद एवं स्वदेशी स्वालंबन न्यास के संयुक्त तत्वावधान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूथ रेड क्रास द्वारा आत्मनिर्भर हरियाणा अभियान के अंतर्गत रोजगार सृजन में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे.
इससे पहले उन्होंने देवी सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया. समाजसेवी सतीश ने कहा कि स्वरोजगार अपनाएंगे देश को समृद्ध बनाएंगे. जिस प्रकार भारत ने अपनी भूखमरी, जनसंख्या, अनपढ़ता, छुआ-छूत तथा गरीबी पर पूरी तरह काबू लिया है. उसी प्रकार भारत को बेरोजगारी व पर्यावरण की समस्या पर इसी तरह काबू करना है. भारत अपने वास्तविक स्थान विश्व गुरू को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ रहा है. हरियाणा भारत को रोजगार के सृजन करने में मदद करेगा. बेरोजगारी के समाधान का जो मॉडल हरियाणा प्रस्तुत करेगा वह मॉडल पूरे भारत वर्ष में उदाहरण बनेगा. इसलिए हम पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन केन्द्र एक अहम प्रक्रिया बनने वाली है. यह कार्यशाला बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए समाज व देश को कुछ करने की भावना के लिए नींव का काम करेगी. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी को लेकर सरकार एवं स्वदेशी जागरण मंच जैसी संस्थाओं द्वारा स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार एवं रोजगार सृजन के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन केन्द्र रोजगार क्रान्ति का केन्द्र बिन्दु है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि युवाओं में स्वदेशी स्वावलम्बन का स्वभाव जागृत करना व गरीबी मुक्त एवं सम्पूर्ण रोजगारयुक्त हरियाणा बनाने के लिए हमें धरातल पर कार्य करना होगा और रोजगार केन्द्रित शिक्षा एवं नीतियां बनानी होगी. हमारी नीतियों में विद्यार्थियों को रोजगार की वास्तविक स्थिति का पता होना भी जरूरी है. कुलपति ने कहा कि मार्च 2020 में कोविड की विषम परिस्थितियों में भारत के शीर्ष नेतृत्व ने आत्मनिर्भर भारत का नारा देकर जन-जागरण का कार्य किया. भारत ने मास्क, पीपीई किट, वैक्सीन, सेनिटाईजर व वेंटीलेटर उपकरण न केवल अपने देश के लिए बनाकर समाज हित का कार्य किया बल्कि विदेशों में भी उपलब्ध करवाकर मानवता के कल्याण का कार्य किया.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय समाज का मजबूत स्तंभ है, इसमें भागीदारी करें. किसी भी चीज को प्रभावशाली बनाने के लिए समाज की सहभागिता जरूरी है. स्थानीय व स्वदेशी खरीदें जिससे अपने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढे. उन्होंने कहा कि युवाओं को शिक्षा के साथ स्वरोजगार परक बनाने का मूल मंत्र नई शिक्षा नीति 2020 में निहित है. उन्होंने गरीबी मुक्त हरियाणा, रोजगार युक्त हरियाणा की बात करते हुए कहा कि जब प्रदेश आत्मनिर्भर होगा तभी सभी को रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि स्वयं पर विश्वास करना ही आत्मनिर्भरता है. नौकरी लेने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बने. प्रत्येक विद्यार्थी अपने आप में परिवर्तन का इंजन है. उच्च शिक्षण संस्थानों में समस्त विद्यार्थियों को इस अभियान से जोडने का प्रयास करना आत्मनिर्भर हरियाणा की ओर कदम होगा. जन-जागरण, जिले की आय व रोजगार को बढ़ाना व पालिसी इंटरवेंशन द्वारा रोजगार केन्द्रित पालिसी का बढ़ावा देना चाहिए. कुलपति ने बेराजगारी के प्रमुख कारणों, रोजगार के समाधान तथा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे स्टार्टअप ईकोसिस्टम के बारे में चर्चा की.
डॉ. बीआर अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत की कुलपति प्रो. विनय कपूर ने कहा कि जो हम बचपन में सीखते हैं वही आगे चलता है. हम अपने माता-पिता व शिक्षकों से जो भी सीखते हैं उसकी अहम भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि मातृभूमि से लगाव जरूरी है. शिक्षकों का रोल प्रेरित करने में होता है चाहे वो चाणक्य हो या आचार्य रामतीर्थ. उन्होंने बताया कि विधि विश्वविद्यालय में हर सेमेस्टर में इंटर्नशिप कम्पलसरी की हुई है. विद्यार्थी प्रेक्टिकल ज्यादा करें ताकि नौकरी की बजाए उन्हें अपने प्रोफेशन में रुचि पैदा हो.
कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि हरियाणा राज्य तकनीकी शिक्षा के सचिव डॉ. राजेश गोयल ने कहा कि कोरोना काल में पूरे विश्व में विकसित/विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई थी. उस समय भारत को लोकल व आत्मनिर्भरता के सिद्धान्त ने ही बचाया. दुनिया के अनेक देशों ने आत्मनिर्भरता के मंत्र को अपनाया है. शिक्षाविदों व उच्च शिक्षण संस्थानों की इस में अहम भूमिका है. विश्वविद्यालय में रोजगार सृजन हो, सक्षम, सशक्त रोजगार सृजन केन्द्र बने जो ट्रैनिंग व प्लेसमेट सेल, इनोवेशन सेंटर हो सकता है. यदि बन गया है तो उसको और सशक्त करना. शिक्षकों, विद्यार्थियों, प्रबंधकों सभी स्टैक होल्डर का जन-जागरण करके ही हम रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं. रोजगार सृजन केन्द्र को डाटा बेस की तरह प्रयोग करना चाहिए. योजना को नए तरीके से कैसे प्रयोग कर सकते हैं. उन्होंने महाराष्ट्र में सितारा जिला में अंगूर की खेती के लिए बने द्राक्षा कुल के बारे में बताया.
कोडकोशंट प्राईवेट लिमिटेड के फांउडर व सीईओ अरुण गोयल ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2008 में अपना पहला स्टार्टअप शुरू किया था जो कि आज सफलता के शिखर छू रहा है. उन्होंने कहा कि हमें असफलता से कभी नहीं डरना चाहिए. असफलता तो सफलता की यात्रा का एक हिस्सा है. पहले कोई भी नया कार्य शुरू करने से पहले उसके परिणाम के बारे में नहीं सोचना चाहिए. जो कार्य करते हुए हमें तर्जुबा मिलता है वो बहुत कीमती होता है. उन्होंन कहा कि हर कार्य का परिणाम एकदम से नहीं आता उसमें कुछ समय लगता है इसलिए आत्मविश्वास के साथ कार्य करते रहे तभी जीवन में सफलता मिलेगी. आईडिया/योजना तो सभी के पास होती है पर उसका क्रियान्वयन करना सबसे अहम होता है. टीम भावना के साथ कार्य करने से ही सफलता हासिल होती है.
सतेन्द्र सोरोत ने कहा कि विद्यालय की शिक्षा नींव की ईंट का कार्य करती है क्योंकि विद्यालय में ही के मन का निर्माण होता है. विद्यालय के समय विद्यार्थियों में सीखने की क्षमता ज्यादा होती है. उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 में भी बताया गया है कि छोटी अवस्था में सीखने की क्षमता ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि विद्यालय स्तर पर सेमिनार करें ताकि यूनिवर्सिटी स्तर पर अच्छे विद्यार्थी पहुंचें जो रोजगारपरक शिक्षा के महत्व को समझ सकें. मॉड्यूलर कैपिटल में जनरल पार्टनर एवं बीआई मार्केट गुरू भविश सूद ने कार्यक्रम में ऑनलाईन जुड़कर पीपीटी के माध्यम से बताया कि किसी भी स्टार्टअप शुरू करने के लिए पहले उत्पाद की गुणवत्ता, फंडिग, बाजार व इको सिस्टम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
कार्यशाला में प्रान्त प्रचारक विजय कुमार ने युवाओं में स्वरोजगार की उर्जा को पैदा करने के लिए अभिप्रेरणा तथा भावना पैदा करने की आवश्यकता पर बल दिया. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अनिल वशिष्ठ ने सभी का स्वागत व मंच संचालन किया. कार्यशाला में संवाद के दौरान हरियाणा राज्य के सभी जिलों से आए विभिन्न शिक्षण महाविद्यालयों एवं कॉलजों के नोडल एवं डिप्टी नोडल ऑफिसर ने स्टार्ट-अप एवं उद्यमियता के बारे में विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए गए स्वरोजगार के बारे में जानकारी दी. कार्यशाला के समापन अवसर सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया. इस मौके पर विजय वत्स, गोपाल आर्य, कुवि कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, प्रो. आरएस राठौड, प्रो. अनिल वशिष्ठ, प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, प्रो. सीसी त्रिपाठी, डॉ. अंकेश्वर प्रकाश, डॉ. भगत सिंह, डॉ. महासिंह पूनिया, डॉ. गुरचरण सिंह, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. रमेश, डॉ. अर्चना चौधरी, डॉ. रामचंद्र, डॉ. अजय जांगडा, डॉ. आबिद अली, डॉ. जितेन्द्र कुमार, विनय कुमार, प्रदीप कुमार विभिन्न जिलों के कॉलेजों से नोडल आफिसर, डिप्टी नोडल आफिसर, समाजसेवी व विद्यार्थियों से अन्य लोग मौजूद थे.