पांच दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन
राज्य संग्रहालय, लखनऊ संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ पब्लिक स्कूल्स एण्ड कॉलेजेस एवं फ्लोरेसेन्स आर्ट गैलरी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय (6 से 10 मई 2028) व्याख्यान श्रृंखला का शुभारंभ आज 6 मई को हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रो0 के0के0 थपल्याल, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रा0भा0इ0 एवं पुरातत्व विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, सुश्री नेहा सिंह, संस्थापक एवं निदेशक फ्लोरेसेन्स आर्ट गैलरी, लखनऊ एवं डॉ0 सृष्टि धवन, निदेशक, उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय, लखनऊ द्वारा द्वीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम प्रभारी डॉ0 मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेशक ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं कला अभिरूचि पाठ्यक्रम के अन्तर्गत कला के विभिन्न आयामों पर पांच दिवसीय व्याख्यान के विषय पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि एवं वक्ता प्रो0 के0के0 थपल्याल ने अपने व्याख्यान में कहा कि कला मनुष्य के लिए उतनी ही आवश्यक है जितनी जीवन की कई और विधा हैं।
उन्होंने कहा कि कला स्वयं में महत्वपूर्ण है किन्तु वह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब उसका अवलोकन कला मर्मज्ञ करता है। हम बिना भाषा समझे किसी ग्रन्थ का आनन्द नहीं ले सकते किन्तु हम किसी भी देश के कलाकृतियों के भावों को बहुत कुछ समझ सकते हैं।
सुश्री नेहा सिंह, संस्थापक एवं निदेशिक फ्लोरेसेन्स आर्ट गैलरी, लखनऊ एवं लखनऊ पब्लिक स्कूल्स एण्ड कॉलेजेस ने कहा कि वह कला अभिरूचि जैसे आयोजनों के माध्यम से समाज में कला और संस्कृति की भावना को जीवन्त बनाये रखने में अत्यन्त हर्ष का अनुभव कर रही हैं।
कार्यक्रम की परिकल्पना डा0 सृष्टि धवन निदेशक राज्य संग्रहालय, लखनऊ द्वारा की गयी जिसे पूर्ण करने में कार्यक्रम प्रभारी डॉ0 मीनाक्षी खेमका सहायक निदेशक,अल शाज़ फात्मी, डॉ0 राकेश प्रसाद, डॉ0 मोनालिसा, डॉ0 संगीता शुक्ला एवं डॉ0 अनिता चौरसिया, प्रमोद कुमार सिंह, प्रीती साहनी, शशिकला राय, गायत्री गुप्ता, राहुल सैनी, अनुराग द्विवेदी, पूनम सिंह का विशेष सहयोग रहा।
इस अवसर पर उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय, लखनऊ एवं राज्य संग्रहालय, लखनऊ के कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।