परिकल्पना शोध समस्या को निश्चितता प्रदान करती है। परिकल्पना प्रमुख तथ्यों के संकलन में सहायक होती है। व्याख्या के रूप में परिकल्पना सहायक सिद्ध होती है। परिकल्पना चरों के विशिष्ट सम्बन्धों के ज्ञान पर प्रकाश डालती है।
ये विचार विधि विभाग के प्रो. अमित लुदरी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पंचवर्षीय विधि संस्थान द्वारा कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में आयोजित दो दिवसीय शोध पद्धति एवं डाटा सुरक्षा और गोपनीयता विषय पर दो दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला में प्रथम दिन बतौर मुख्य वक्ता प्रकट किए।
प्रो. अमित लूदरी ने शोध में परिकल्पना का महत्व एवं उपयोगिता विषय पर वास्तविक जीवन के उदाहरणों और मामलों का उपयोग करके मुख्य अवधारणाओं को समझाया। उन्होंने शोध की महत्ता एवं गुणवक्ता के बारे में भी बताया।
विधि संस्थान की निदेशिका प्रोफेसर सुशीला देवी चौहान ने मुख्य वक्ता का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनका व्याख्यान निश्चित रूप से संस्थान में शोध की गुणवत्ता को बढ़ाएगा एवं छात्रों के कौशल को विकसित करेगा।
विधि संस्थान के उपनिदेशक डॉक्टर रमेश सिरोही द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। मंच का संचालन कार्यक्रम संयोजिका डॉ. पूनम शर्मा द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ. शालू, डॉ. संतलाल, डॉ. अमित कंबोज, डॉ. कृष्णा अग्रवाल, डॉ. सुरेंद्र, डॉ. सुमित, डॉ. जापान, डॉ. करमदीप , डॉ. बसंत, डॉ. प्रोमिला, डॉ. पूजा, डॉ. उर्मिल, डॉ. सुनील एवं बी.ए.एलएल.बी व एलएलएम के विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित रहे।
- वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक