शुक्रवार को आईएसबीटी स्थित ऋषिकेश प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित कोठारी ने पत्रकारों को बताया कि 29 सितंबर को मूल निवास 1950,सशक्त भू कानून, बढ़ते नशे और अपराध के खिलाफ मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति आईडीपीएल से त्रिवेणी घाट स्थित गांधी स्तंभ तक मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकलेगी। उन्होंने बताया कि आज अपने ही राज्य में मूल निवासियों की पहचान का संकट खड़ा हो गया है। अब हमारे अपने ही प्रदेश में कोई हैसियत नहीं रह गई है।
हमारी पहचान के साथ ही हमारी संस्कृति, नौकरी, रोजगार, जमीन सहित तमाम आर्थिक संसाधनों पर बाहर से आए लोगों का कब्जा होता जा रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण मूल निवास 1950 की व्यवस्था को खत्म करना और कमजोर भू कानून लागू होना है। कहा कि एक आंकड़े के मुताबिक आज उत्तराखंड में भारी राज्यों से 50 लाख से अधिक लोग आ चुके हैं। इसमें से अधिकतर ऐसे हैं जिन्होंने अपने फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाए हैं।
इस आधार पर यह लोग न केवल उत्तराखंड में सरकारी नौकरी कर रहे हैं बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं और आसानी से जमीन भी खरीद रहे हैं। हमारे रोजगार और कारोबार के अवसरों को हथियाना के साथ ही प्रदेश के तमाम तरह के संसाधनों पर भी इनकी पकड़ दिनों दिन मजबूत होती जा रही है। इस खतरनाक स्थिति को नजर अंदाज करने का सीधा मतलब है कि हमारी भावी पीढ़ी के अल्पसंख्यक हो जाने का रास्ता तैयार करना है। क्या यह हमें मंजूर होना चाहिए, बिल्कुल भी नहीं।
उन्होंने कहा कि समिति लंबे समय से मांग करती आ रही है कि मूल निवासियों का मूल निवास 1950 के आधार पर चिह्नीकरण/सर्वे किया जाए, इस आधार पर मूल निवासियों को सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की नौकरियों, रोजगार व सरकारी योजनाओं में 90 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। कहा कि कमजोरी भू कानून के कारण बाहर के पूंजीपति हमारी जमीन खरीद रहे हैं। उत्तराखंड में बाहर से आए लोगों ने पहाड़ के पहाड़ अपने नाम कर लिए हैं। इसके लिए सरकार को सशक्त भू कानून बनाना चाहिए।
उन्होंने प्रेस के माध्यम से लोगों से 29 तारीख को आयोजित महा रैली में अधिक से अधिक संख्या में शिरकत करने की अपील की है। मौके पर पांजल नौडियाल, हिमांशु रावत, कुसुम जोशी, एलपी रतूड़ी, मोहन रावत, शशि रावत ऊषा डोभाल, सुरेंद्र नेगी, संजय सिलस्वाल अन्य मौजूद रहे ।