दिल्ली में कोविड महामारी पर सियासत
राजेश वर्मा : नयी दिल्ली : पूरा विश्व कोविड 19 महामारी से जूझ रहा है. प्रत्येक राष्ट्र अपने अपने स्तर पर इसका मुकाबला कर रहा है. जिस प्रकार दिन प्रतिदिन विश्व और भारत में कोविड के आंकड़ों में वृद्धि होती जा रही है, यह चिंता का विषय बना हुआ है. उसी क्रम में इस पर राजनीति भी प्रखर होती जा रही है. जनसंख्या के आधार पर भारत विश्व में प्रथम स्थान पर आता है. अत्यधिक जनसंख्या होने के कारण यहां पर अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही है जैसा कि कोविड 19 मरीजों की टेस्टिंग, मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिये सुरक्षा किट विशेषकर अस्पतालों के रखरखाव आदि समस्याओं पर दिन प्रतिदिन राजनीतिक हलकों में बाजार गर्म है. ताजा आंकड़े काफी भयावह स्थिति प्रकट करते हैं. वहीं चैनलों के माध्यम से नेता मर्यादा भूल कर एक दूसरे को निशाना बना रहे हैं. लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की निष्पक्षता पर सवालिया निशान उठ रहे हैं. ऐसा लगता है कि एंकर सिर्फ सवाल पर सवाल किये जा रहे हैं और नेतागण सिर्फ मूकदर्शक बने हुए हैं और जो समय दिया जा रहा है उसमें भेदभाव साफ झलक रहा है. दिल्ली राज्य सरकार अपने स्तर पर कोविड 19 से लड़ रही है तो कहीं सीमा विवाद में उलझी हुई है. दिल्ली भारत की राजधानी है इस कारण उसका दायित्व और बढ़ जाता है. परंतु हरियाणा और उत्तरप्रदेश की सीमाबंदी को लेकर तीनों सरकारों में तलखी बनी हुई है. आगामी 8 जून से अनलाक के दूसरे चरण में सीमा विवाद को निपटाने के लिये दिल्ली सरकार ने अपने निवासियों से राय मांगी क्योंकि दिल्ली सरकार अपने फैसले राय मशवरे के साथ करती आ रही है तथा जनता की राय को आधार बनाकर दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने प्रस्ताव पास कर ऐलान किया कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों मे दिल्ली की जनता का प्राथमिकता के आधार पर इलाज किया जायेगा. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोविड 19 को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी चुनावी रोटियां सेंकने पर आमादा हैं. इस उठापटक में कोविड 19 लड़ रहे असहाय मरीजों का क्या होगा.