रत्नावली के दूसरे दिन हरियाणवी हास्य नाटिका प्रतियोगिता का आयोजन कुवि के ओपन एयर थियेटर में किया गया । हास्य नाटिकाओं की टीमों में 20 से अधिक टीमों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर टीमों में समाज में फैल रहे भ्रष्टाचार को अपना मुख्य बिंदु बनाया। हरियाणवी बोली एवं भाषा का सुंदर स्वरूप हास्य नाटिकाओं में प्रस्तुत किया गया। इनमें से जहां कुछ नाटिकाएं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं पर आधारित थी वहीं पर कुछ नाटिकाएं किसानी संस्कृति पर आधारित थी। नाटिकाओं के माध्यम से गरीब किसान की दुर्दशा, फसल की बबार्दी विषयों को प्रस्तुत किया गया।
इस मौके पर प्रस्तुत नाटिकाओं में सामाजिक समस्याओं को विशेष रूप से चिन्हित कर कुरीतियों को उजागर किया गया। गांव में बढ़ती हुई बेरोजगारों की फौज, विदेशो में पलायन करते युवा, अविवाहिम समस्या, नशा जैसे ज्वलंत मुद्दों को हरियाणवी बानगी के माध्यम से प्रस्तुत किया। ओपन एयर थियेटर खचाखच भरा हुआ था। हरियाणवी पंचों के माध्यम से दर्शकों को कलाकारों ने खूब लोटपोट किया। ओपन एयर थियेटर में प्रस्तुत की गई नाटिकाएं दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ गई।
- वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक