भारत में 29 अगस्त को कोरोना के 43,000 नए मामले आए. सिर्फ साढ़े तीन महीने पहले देश में प्रति दिन 4,00,000 से देखते हुए यह राहत भरी खबर ही कही जाएगी लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ महामारी की स्थिति से चिंतित हैं. खासकर इसलिए क्योंकि 29 अगस्त को आए नए मामलों में से 67 फीसद सिर्फ केरल में है. आज कुल 2,09,520 कोरोना मामलों के साथ, केरल में देशभर में सबसे अधिक सक्रिय मामले हैं. महाराष्ट्र जो कई महीनों तक संक्रमण के नए मामलों में सबसे आगे रहा था, अब वहां केरल के सक्रिय मामलों की तुलना में केवल एक-चैथाई मरीज है. जब आप केरल की तुलना उत्तर भारत के दिल्ली (375 सक्रिय मामले), राजस्थान (109) और उत्तर प्रदेश (269) जैसे कुछ राज्यों से करते है, तो केरल के आंकड़े और भयावह नजर आते हैं.
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया (पीएचएफआइ) के अध्यक्ष डा.के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, ‘‘देश में कई ऐसे पाकेट्स (इलाके) हैं जो वायरस के प्रति अत्यधिक संवेदनशील रहते हैं.’’ इन पाकेट्स में अगर लगातार उच्च संक्रमण दर बनी रही तो इससे पूरे देश में महामारी नियंत्रण को लेकर जोखिम पैदा हो सकती है. वायरस का एक नया वैरिएंट (संस्करण) या लंबे समय तक बड़ी संख्या में कोविड मामले एक बार फिर देश के चिकित्सा बुनियादी ढांचे को छिन्न-भिन्न कर सकते हैं. टीका विशेषज्ञ डाक्टर गगनदीप कंग कहती हैं, ‘‘सिर्फ एक राज्य में इतनी अधिक संख्या में संक्रमण के मामले होना चिंताजनक हैं.’’ अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि केरल की कम सेरोपाजिटिविटी इसकी एक बड़ी वजह है. नवीनतम राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला है कि राज्य की केवल 44 फीसद आबादी में कोविड के खिलाफ प्रतिरक्षा थी. उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यो में सेरोपाजिटिविटी 70 फीसद से ऊपर है।
केरल ने जुलाई में औसतन 13,500 और अगस्त में 19,500 रोजाना नए मामले दर्ज किए. जांच की पुष्टि का फीसद भी उच्च (15 फीसद से ज्यादा) बना हुआ है जो इसका संकेत है कि राज्य में वायरस का व्यापक प्रसार हो रहा है राज्य के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में 50 फीसद से ज्यादा अस्पताल के बिस्तर खाली हैं और मृत्यु दर केवल 0.5 फीसद है जो राष्ट्रीय औसत (1.3 फीसद) के आधे से भी कम है. इसका अर्थ यह है कि लोग जांच में संक्रमित तो पाए जा रहे हैं, पर उनमें लक्षण गंभीर नही हैं कोच्चि के अमृता अस्पताल में इटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डाॅ. सुभाष चंद्र कहते हैं, ‘‘यह राज्य की आबादी के बड़े हिस्से के टीकाकरण का नतीजा है। वर्तमान टीके भले ही संक्रमण को नही रोक पा रहे हों, पर वे न्यूमोनिया और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं को बढ़ने से रोककर बीमारी को गंभीर बनाने से रोकने में प्रभावी तो हैं ही.’’
केरल ने टीका लगाने की अपनी पात्र आबादी के 20 फीसद से अधिक का पूर्ण टीकाकरण करा लिया है और 52 फीसद (जिसमें 45 साल से अधिक उम्र के 70 फीसद लोग शामिल हैं) को पहली खुराक मिल चुकी है. इसके बावजूद, राज्य ने ऐसे लोगों मंे लगभग 80,000 कोविड मामले दर्ज किए हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक मिली है और संक्रमित होने वाले 40,000 लोगों को तो टीके की पूरी खुराक दी जा चुकी है. शुरू में, यहां देश में कोविड के एक नए वैरिएंट को लेेकर आशंका जताई गई थी, लेकिन भारतीय सार्स-सीओवी-2 कंसोर्शियम आन जीनोमिक्स (आइएनएसएसीओजी) ने अगस्त में इस आशंका को खारिज का दिया. आइएनएसएसीओजी ने अपने बयान में लिखा, ‘‘डेल्टा वैरिएंट के प्रकोप में टीकाकरण की विफलता (या दो वैक्सीन की दोनांे खुराक के बाद भी संक्रमण) आम हैं और भारत में भी ऐसा देखा गया हैं नए वैरिएंट के सामने आने की चिंताओं का ऐसे आंकड़ों के सन्दर्भ मंे अंशांकन किया जाना चाहिए. अब तक, भारत में टीकाकरण की सफलता का अनुक्रमण (सिक्वेसिंग) भी डेल्टा वैरिएंट का बहुत अधिक अनुपात दर्शा रहा हैं. ‘‘दूसरे शब्दों में, केरल में कोविड संक्रमण में उछाल अभी भी डेल्टा वैरिएंट के कारण है।
लेकिन वायरस को बेलगाम रूप से फैलने दिया जाता है, तो भविष्य में नए उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) का खतरा हो सकता है वायरोलाजिस्ट डाक्टर शाहिद जमील कहते है ‘‘सिर्फ मौतों को रोकने से महामारी नहीं रूकेगी.’’ लोग महामारी से ऊब चुके हैं और वे कम एहतियात बरत रहे हैं जिससे वायरस के अधिक संक्रामक खतरा हो सकता है. जीनोम विशेषज्ञ डा. राकेश मिश्र कहते हैं, ‘‘कोविड जितनी बार संचारित होता है उसके उतनी बार म्यूटेशन की संभावना होती हैं’’ केंद्र ने केरल की स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाए हैं. 29 जुलाई को, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डा. सुजीत सिंह की अध्यक्षता में छह सदस्यीय टीम को स्थिति का जायजा लेने और जरूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की सिफारिश करने के लिए राज्य भेजा गया था. टीम ने खुलासा किया कि राज्य के लोगों में महामारी के कारण थकान और ऊब दिखी तथा होम आइसोलेशन को लेकर भी वे बहुत लापरवाह दिखे. 28 अगस्त को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को लिखा, ‘‘उच्च संक्रमण दर और पिछले चार हफ्तों में प्रति 10 लाख पर उच्च मामलों के कारण केरल के सभी 14 जिलों को चिंताजनक जिलों के रूप में पहचाना गया हैं.’’ उन्होंने राज्य से परीक्षण में तेजी लाने और कोविड-19 प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करने को कहा. किसी भी नए स्ट्रेन को पकड़ने के लिए केरल को कहा गया है कि वह जीनोमिक सीक्वेंसिंग के लिए उन जिलों से ज्यादा से ज्यादा नमूने भेजे जहां वायरस संचरण की दर उच्च है. भूषण ने पत्र में लिखा, ‘‘ मैं दोहराना चाहूंगा कि ‘जांच, ट्रैकिंग, उपचार टीकाकरण और कोविड-उपयुक्त व्यवहार सुनिश्चित करने’ की पांच स्तरीय रणनीति सुनिश्चित करने में कैसी भी ढिलाई से राज्य में कोरोना मामलों में और उछाल आ सकता है.’’
यह निश्चित है कि संख्या में वृद्धि होगी, क्योंकि भारत का एक बड़ा हिस्सा अब भी वायरस से संक्रमित नहीं हुआ है या इसके खिलाफ टीकाकरण नहीं किया गया हैं लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों को इस बात पर संदेह है कि यह दूसरी लहर की तरह विनाशकारी होगी, खासकर नए स्ट्रेन की अनुपस्थिति में जमील कहते हैं ‘‘सीरों-सर्विलांस से पता चलता है कि लगभग दो-तिहाई भारतीय पहले ही वायरस के संपर्क में आ चुके हैं जहां कम जोखिम होगा, वहां स्थानीय प्रकोप होंगे.’’ भारत ने वर्तमान में अपनी 11 फीसद वयस्क आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया है और 37 फीसद ने कम से कम एक खुराक ली है.
नीति आयोग के नवीनतम आकलन के मुताबिक, महामारी की संभावित तीसरी लहर में देश भर में प्रतिदिन चार से पांच लाख संक्रमण हो सकते हैं, और उसमें अस्पताल में अनुमानित 23 फीसद भर्ती दर से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दो लाख समर्पित गहन देखभाल इकाई (आइसीयू) बिस्तरों की जरूरत होगी. राज्यों को इसके अनुसार तैयारी करने को कहा गया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया कहते हैं, ‘‘जो भी होगा वह किसी नए कोविड स्ट्रेन के आने पर भी निर्भर करता है.’’
लेकिन यह लहर कब आएगी? गृह मंत्रालय के विशेषज्ञ पैनल ने हाल में भविष्यवाणी की थी कि तीसरी लहर सितंबर और अक्टूबर के बीच किसी भी वक्त देश में आ सकती है. इसने आइआइटी, कानपुर के वैज्ञानिकों के एक समूह के गणितीय माडलिंग का इस्तेमाल किया, भविष्यवाणी की थी. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में तीन भविष्यवाणियां हैं-पहले परिदृश्य के अनुसार, तीसरी लहर अक्टूबर में चरम पर पहुँच सकती है, जिसमें प्रति दिन 3,20,000 पाजिटिव मामले सामने आ सकते हैं., दूसरे परिदृश्य के मुताबिक, नए और ज्यादा विषाणुजनित रूपों के उभार के साथ तीसरी लहर सितंबर में चरम पर पहुँच सकती है, जिसमें रोजाना पांच लाख पाजिटिव मामले आ सकते हैं और तीसरे परिदृश्य के अनुसार, तीसरी लहर अक्टूबर के अंत में प्रतिदिन दो लाख पाजिटिव मामलों के साथ चरम पर पहुँच सकती है.
अगर भारत स्थानिक स्थिति में प्रवेश कर रहा है, जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डा. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया था, तो यह अहम है कि नए स्ट्रेन को नियंत्रित किया जाए, स्थानिक अवस्था में होने का अर्थ है कि वायरस लगातार मौजूद है, और कम टीकाकरण या एंटीबाडी वाले विभिन्न क्षेत्रों में कम से लेकर मध्यम स्तर तक संक्रमण हो रहा है-जैसा अभी हो रहा है. डा. रेड्डी कहते है, ‘‘अगर पर्याप्त लोगो में वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है तो यह छोटे इलाकों में लक्षण पैदा कर सकता है, पर यह बीमारी का कारण नही बनता है यह कब होगा पता चलना संभव नही है ‘‘वैसे अगर वायरस को म्यूटेट करने के मौके मिलते रहे तो ऐसा नही होगा.’’।
पहले से ही एक नया खतरा मंडरा रहा है, दक्षिण अफ्रीका के संचारी रोगों के राष्ट्रीय संस्थान और क्वाजुलु-नेटाल रिसर्च इनोवेशन ऐंड सीक्वेंसिंग प्लेटफार्म ने सी0 1.2 संस्करण के अपने नए विश्लेषण से वैश्विक खतरे की घंटी बजा दी है, वैज्ञानिकों ने पाया कि नए स्ट्रेन में चीन के वुहान में उभर मूल कोविड-19 स्ट्रेन और अब तक दुनिया भर में पाए गए अन्य सभी प्रकार के वैरिएंट आफ कंसर्न (वोओसी) या वैरिएंट आफ इंटरेस्ट (वीओआई) की तुलना में अधिक म्यूटेशन होता है, अध्ययन में कहा गया है कि सी0 1.2 संस्करण की म्यूटेशन दर (प्रति वर्ष 41.8 म्यूटेशन) अन्य संस्करणों की फिलहाल दिखाई गई वैश्विक म्यूटेशन दर से लगभग दोगुनी तेज है, चीन, इंग्लैड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और मारिशस जैसे देशों में इस स्ट्रेन की पुष्टि हुई है, विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल समय की बात है कि यह कब भारत पहुचता है इस स्ट्रेन में डेल्टा संस्करण जैसे भी कुछ म्चयूटेशन होते हैं, जो इसे अन्य कोविड स्ट्रेनों के खिलाफ बने ऐंटीबाडी से बचने में मदद कर सकते हैं. इज्राएल में 60 फीसद टीकाकरण के बाद भी लोग डेल्टा संस्करण से संक्रमित हो रहे हैं.
आइएनएसएसीओजी ने अब तक भारत से वायरस के 67,699 नमूने लिये है इसके अलावा, राज्यों ने 11,016 नमूनों के सिक्वेंस साझा किए हैं. यह भारत में कोविड से संक्रमित लोगों का मात्र 0.002 फीसद है. यह महत्वपूर्ण है कि अगर भारत को निरन्तर स्थानिकता का प्रबन्धन करना है जो संचरण को कम रखने के लिए रोकथाम के उपायों के साथ-साथ स्ट्रेनों की निगरानी भी काफी बढ़ानी होगी.