प्रारंभ में सरस्वती देवी के समक्ष दीप प्रज्वलित और वंदना के पश्चात शिविर का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित सभी छात्र छात्राओं को बताया गया कि बाल श्रम का मतलब है बच्चों से ऐसा काम करlना जो उनके शारीरिक मानसिक सामाजिक या नैतिक कल्याण के लिए हानिकारक हो बाल श्रम बच्चों का शोषण और दुर्व्यवहार है बाल श्रम में बच्चों से ऐसा काम कराया जाता है जिससे उसका बचपन क्षमता और आत्म सम्मान छिन जाता है आर्थिक रूप से अभावग्रस्त होने के कारण उन्हें स्कूल जाने से रोका जाता है भारत में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह के काम में लगाना बाल श्रम माना जाता है सभी छात्राओं को बताया गया कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 भारत के सांसद द्वारा पारित एक कानून है इस अधिनियम के तहत बच्चों के कल्याण पुनर्वास और समृद्धि के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आयोग का गठन किया गया है इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की स्थापना की गई है यह आयोग महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तत्वाधान में काम करता है इस अधिनियम के तहत बच्चों के कुछ अधिकार हैं जीवन का अधिकार, नाम का अधिकार, स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार ,सुरक्षा का अधिकार, धर्म की आजादी का अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि जिसमें शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है शिक्षित व्यक्ति अन्य अधिकारों का पालन बहुत अच्छी प्रकार से करता है शिक्षित व्यक्ति समाज में सम्मान का अधिकारी होता है उपस्थित छात्रों को समय की महत्वता के विषय में भी जानकारी प्रदान की गई साथ ही बताया गया जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली निशुल्क सेवाओं के पात्रों में बच्चों का विशेष स्थान है अपनी किसी भी लीगल समस्या के मार्गदर्शन के लिए ऋषिकेश के पैरालेगल वॉलिंटियर्स की सहायता प्राप्त की जा सकती है सभी बच्चों को चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 की जानकारी दी गई , इसके साथ ही न्याय एवं विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 15100 की जानकारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा मिलने वाली निशुल्क विधिक सहायता के बारे में जानकारी दी गई। शिविर में प्रधानाचार्य एवं अन्य सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहे शिविर के अंत में विद्यालय की शिक्षिका द्वारा शॉलओढ़ाकर संम्मानित किया। कार्यक्रम में 460 छात्र छात्रा उपस्थित रहे।