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हाथरस दुर्घटना : अस्पताल में लाशों का ढेर

मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने के मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

अस्पताल में लाशों का ढेर
अस्पताल में लाशों का ढेर

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में भोले बाबा के प्रवचन के दौरान भगदड़ मची भगदड़ में 116 लोगों की जान चली गई. इस सत्संग में भगदड़ के दौरान मरने वालों में अधिकतर महिलाएं शामिल हैं. 116 में से अब तक 109 शवों की शिनाख्त हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक हादसे में 7 बच्चों की भी जान गई है. भगदड़ मचने के बाद एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. घायलों को अस्पताल ले जाया गया. फिलहाल कई घायलों की हालत गंभीर होने की खबर है.

इस भगदड़ के बाद सबके मन में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया और कैसे इतने लोगों की जान चली गई. इस घटना के चश्मदीदों ने वहां का पूरा हाल बताया है. इस सत्संग में शामिल होने के लिए अपने परिवार के साथ जयपुर से आई एक महिला ने एटा में पोस्टमार्टम हाऊस के बाहर बताया कि सत्संग खत्म होने के बाद लोग एकदम से बाहर निकलने लगे, जिससे भगदड़ मच गई. एक दूसरे चश्मदीद ने बताया, ‘हम सद्भावना कार्यक्रम खत्म होने से पहले ही वहां से चले गए थे. कार्यक्रम दिन में करीब 11.30 बजे शुरू हुआ था. वहां व्यवस्था ठीक नहीं थी. धक्का-मुक्की के कारण यह घटना हुई.’

फिसलन भरी जमीन पर गिरते चले गए लोग
इन्हीं चश्मदीदों में एक सोनू कुमार भी है, जिसने बताया, ‘पानी की टंकियों और बारिश के पानी ने आस-पास की नालियों को भर दिया था, जिससे जमीन पूरी फिसलन भरी हो गई थी.’ सोनू ने बताया कि ”जब गुरु जी लगभग डेढ़ घंटे बाद वहां से निकले, तो भक्त अचानक उनके पीछे उनके पैर छूने के लिए दौड़े. जैसे ही उनकी कार वहां से निकली, वहां कई भक्त जमीन पर झुककर चरण धूल लेते दिख रहे थे. इसके बाद जब लोग वापस लौटे तो अचानक फिसलन भरी जमीन के कारण वे एक-दूसरे पर गिर पड़े.’ उन्होंने बताया कि वहां कम से कम 10,000 लोगों की भीड़ थी.

अस्पताल में लाशों का ढेर
उधर हाथरस जिले में मंगलवार को स्थानीय अस्पताल में शव बिखरे पड़े थे, जबकि उनके चारों ओर इकट्ठा लोग आंसू पोंछ रहे थे और एक-दूसरे को दिलासा दे रहे थे. जिले के सिकंदराराऊ ट्रॉमा सेंटर के बाहर दिल दहला देने वाला नजारा देखने को मिला, जहां पुलराई गांव में ‘सत्संग’ में हुई भगदड़ में मृत या बेहोश पीड़ितों को एंबुलेंस, ट्रक और कारों में लाया गया था.

एक महिला ट्रक में पांच या छह शवों के बीच बैठी रो रही थी और लोगों से अपनी बेटी के शव को वाहन से बाहर निकालने में मदद करने का आग्रह कर रही थी. एक वीडियो क्लिप में एक पुरुष और एक महिला को दूसरे वाहन में बेजान पड़े हुए दिखाया गया. कई घायलों को अस्पताल के इंट्री गेट के पास परेशान रिश्तेदारों से घिरे हुए देखा गया.

स्थानीय लोगों ने इस त्रासदी के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया. जैसे-जैसे दिन बीतता गया, मृतकों की आधिकारिक संख्या बढ़ती गई और ट्रॉमा सेंटर तथा शवगृह के बाहर भीड़ बढ़ती गई. अस्पताल के बाहर एक गुस्साए युवक ने कहा, ‘लगभग 100-200 लोग हताहत हुए हैं और अस्पताल में केवल एक डॉक्टर था. ऑक्सीजन की कोई सुविधा नहीं थी. कुछ लोग अभी भी सांस ले रहे हैं, लेकिन उचित उपचार सुविधाएं नहीं हैं.’

उधर देर शाम अलीगढ़ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक शलभ माथुर ने मृतकों की संख्या 116 बताई. इस हादसे में कई अन्य घायल हुए. वहीं सिकंदराराऊ के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) रवेंद्र कुमार के अनुसार, भगदड़ तब हुई जब श्रद्धालु सत्संग के अंत में प्रवचनकर्ता भोले बाबा की एक झलक पाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने बताया कि वे बाबा के पैरों के आसपास की मिट्टी इकट्ठा करना चाहते थे. सिकंदराराऊ थाने के प्रभारी निरीक्षक आशीष कुमार ने हादसे के लिए प्रवचनकर्ता भोले बाबा के सत्संग में भीड़भाड़ को जिम्मेदार ठहराया.

वहीं आगरा जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अनुपम कुलश्रेष्ठ ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘प्रवचन चल रहा था, जिसमें ज्यादातर महिलाएं प्रवचन सुनने गई थीं. जब प्रवचन खत्म हुआ, तो अचानक भीड़ लग गई, महिलाओं को घुटन महसूस हुई, उसके बाद इस घटना के बारे में पता चला.’ एडीजी ने कहा ‘यह बहुत ही दर्दनाक हादसा है, हमारी प्राथमिकता उन लोगों को उपचार उपलब्ध कराना है जो घायल हुए हैं, और हम मृतक श्रद्धालुओं की औपचारिकताएं जल्द से जल्द पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं.


Published: 02-07-2024

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