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देवीपाटन मंडल : वंशवाद का खिला कमल

 देवी पाटन मंडल में लोकसभा की चार सीटे है। इन चार सीटो में तीन सीटो पर वंशवाद की फसल लहलहा रही है। भाजपा वंशवाद और परिवारवादी सियासत की मुखर आलोचक रही है।

वंशवाद का खिला कमल
वंशवाद का खिला कमल

परिवारवाद के मामले में कांग्रेस पर प्रहार करती रही है। यूपी में खासतौर से अखिलेष यादव की समाजवादी पार्टी और देष की सियासत में कांग्रेस और गांधी परिवार पर अधिक हमलावर रही है। लेकिन यहां परिस्थितियां बिल्कुल उलट दिखायी देती है। परिवारवाद के पटल पर हम केवल देवीपाटन मंडल का परीक्षण करते है।
अवध क्षेत्र के अधीन देवी पाटन मंडल आता है।

इस मंडल में बहराइच सुरक्षित, कैसरगंज, गोण्उा और श्रावस्ती लोकसभा की कुल चार सीटे है। गोण्डा संसदीय सीट की बात करे तो इस सीट पर भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह ने जीत की तिकड़ी लगायी है। लगातार तीन बार जीत हासिल करने का उन्हे बतौर मोदी कैबिनेट में राज्यमंत्री के पद से नवाजा गया है। कीर्तिवर्धन सिंह राजा आनंद सिंह के बेटे है। इनके पिता राजा आनंद सिंह गोण्डा से सांसद और विधायक रहते हुए अखिलेष सरकार में कृषि मंत्री रहे है।
कैसरगंज लोकसभा सीट पर भी परिवार का कमल खिला।

यहां से सांसद रहे बृजभूषण षरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को भाजपा ने प्रत्याषी बनाया। 16वीं और 17वी लोकसभा के लिए कैसरगंज संसदीय सीट से बृजभूषण षरण सिंह भाजपा से सांसद चुने जा चुके है। 2009 में भी वे इसी संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी से सांसद रह चुके है। इस बार विवादों की वजह से भाजपा ने बृजभूषण सिंह को टिकट न देकर उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह को प्रत्याषी बनाया। करण भूषण ने अपने पिता की सियासी विरासत को महफूज रखते हुए जीत दर्ज की।

बहराइच लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। भाजपा के मौखिक आयु बंधन नियमो के तहत यहां से भाजपा सांसद रहे अछैवरलाल गोंड का टिकट पार्टी ने काट दिया। टिकट कटने का श्री गौंड को कोई रंज नही हुआ।

पार्ठी ने उनके बेटे आनंद गौंड को बहराइच से प्रत्याषी बनाकर युवा दांव खेला। आनंद गोंड ने भी अपने पिता के सियासी रसूख को कायम रखते हुए जीत दर्ज करके भगवा रंग को फीका नहीं पड़ने दिया।
चौथी लोकसभा सीट श्रावस्ती है।

श्रावस्ती सीट अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर कोई सियासी परिवारिक पीढ़ी संसद नहीं पहुंचा। लेकिन लोकसभा चुनाव के साथ ही हुए गैसड़ी विधान सभा के चुनाव में परिवार का फूल खिला।

इस उप चुनाव पूर्व मंत्री और विधायक डा. षिव प्रताप यादव के बेटे राकेष यादव ने उप चुनाव जीतकर परिवार की सियासी परम्परा को जीवित रखा। 2009 में पहली बार यहां से कांग्रेस के डा. विनय कुमार पांडेय,2014 में भाजपा के दद्दन मिश्रा, 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा कोटे से रामषिरोमणि वर्मा ने जीत दर्ज की थी। 2024 में श्री वर्मा ने बसपा से अलग होकर सपा से चुनाव लड़कर अपनी संसदीय सीट को महफूज रखा।

इसी प्रकार बहराइव जिले की मटेरा विधान सभा से डा. वकार अहमद षाह के बहू मारिया षाह भी समाजवादी पार्टी से विधायिका है। जिले महसी सीट से सुरेष्वार सिंह भाजपा के विधायक है।

इनके पिता सुखदराज सिंह और माता नीलम सिंह दोनो विधायक रह चुके है। इसी प्रकार गोंडा जिले की गोंडा सदर से बृजभेषण सिंह के बेअे प्रतीक भूषण सिंह दो बार से विधायक है। श्रावस्ती ससदीय सीट की खास बात यह रही कि इस बार चुनाव लड़ने वाले दोनों प्रत्याषियों पर बाहरी होने का ठप्पा लगा था। हालाकि भाजपा प्रत्याषी साकेत मिश्र बहराइच में अपनी ननिहाल होने का तर्क देकर स्थानीय साबित करने की कोषिष करते रहे है। इस बार चुनाव लड़े दोनों प्रत्याषियों ने श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र में निजी आवास बनाने की बात कही गयी है।

- जेपी गुप्ता


Published: 20-06-2024

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