कितने बौने हम तुम नाटक की प्रस्तुति
बीते दिनों आईआईआईटी ऊना द्वारा तीन दिवसीय ई - समिट का आयोजन किया गया। जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय की जेंडर सेंसेटाइजेशन सेल को भी आमंत्रण मिला। सेल की कन्वेनर प्रो. रोली मिश्रा के मार्गदर्शन और सरंक्षण में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों की साहित्यिक पहल काव्योम फ़ाउण्डेशन द्वारा आईआईआईटी ऊना, हिमाचल प्रदेश में 'कितने बौने हम तुम' नाटक प्रस्तुत किया गया। यह प्रस्तुति काव्योम फ़ाउण्डेशन और आईआईआईटी ऊना की इंटर्नल कंप्लेंट्स कमेटी सेल के संयुक्त तत्वाधान में की गई।
पितृसत्ता, घरेलू हिंसा, रूढ़ियों एवं वर्तमान परिदृश्य को समायोजित रूप में प्रस्तुत करते हुए नाटक 'कितने बौने हम तुम' के माध्यम से समाज में समानता को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया। साथ ही इस नाट्य प्रस्तुति द्वारा समावेशी समाज की भावना को प्रबल बनाने का भी प्रयास किया गया। इस नाटक का लेखन एवं निर्देशन कौन्तेय जय द्वारा किया गया।
सह-निर्देशन में मयंकधर मिश्र, संगीतकार अनमोल मिश्रा, गायन में ऋषिता प्रजापति, कॉस्ट्यूम में सोनल शर्मा और क्राफ्ट में हर्षिता आर्या ने सहयोग देते हुए अभिनय किया। अभिनेताओं में अर्पित सिंह, मानस बाजपेई, वैभव पांडेय और प्रशांत कुशवाहा ने भी भूमिकाएं निभाई।
काव्योम फ़ाउण्डेशन के अध्यक्ष कौन्तेय जय ने आईआईआईटी ऊना के निदेशक प्रो. मनीष गौर, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय, जेंडर सेंसेटाइजेशन सेल की संयोजक डॉ रोली मिश्रा और आईसीसी सेल के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उम्मीद करते हैं हम अपनी चेतना का यथार्थ आप तक पहुंचा पाए होंगे। ये वैचारिक आदान प्रदान बना रहेगा।
प्रो मनीष गौर ने इस प्रस्तुति के बाद कहा कि यह प्रस्तुति मनोरंजन न होकर हमारे समाज की आवश्यकता है लखनऊ विश्वविद्यालय 100 साल से भी पुराना शिक्षा संस्थान है वहां के छात्रों से जिस स्तर की प्रस्तुति की अपेक्षा थी टीम काव्योम उस पर खरी उतरी।
इसके लिए जेंडर सेंसटाइजेशन सेल की कन्वेनर प्रो. रोली मिश्रा व टीम के सभी सदस्यों का आभार। आईआईआईटी ऊना के छात्रों में भी नाटक को लेकर उत्साह दिखा छात्रों ने नाटक के हर अंक हर पात्र को सराहा।
- प्रशांत प्रखर