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एम सी डी का हाल बेहाल

सिटीजन रिपोर्टर : नयी दिल्ली : भारत की राजधानी दिल्ली को स्वच्छ रखने का दायित्व दिल्ली नगर निगम का रहा हैं. समय के साथ-साथ तथा बढ़ती जनसंख्या के कारण दिल्ली नगर निगम को परिस्थितिनुसार तीन भागों में बाँट दिया गया - नार्थ दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ल

एम सी डी का हाल बेहाल
एम सी डी का हाल बेहाल
सिटीजन रिपोर्टर : नयी दिल्ली : भारत की राजधानी दिल्ली को स्वच्छ रखने का दायित्व दिल्ली नगर निगम का रहा हैं. समय के साथ-साथ तथा बढ़ती जनसंख्या के कारण दिल्ली नगर निगम को परिस्थितिनुसार तीन भागों में बाँट दिया गया - नार्थ दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम तथा साउथ दिल्ली नगर निगम, जिससे स्वच्छता पर बल दिया जा सके तथा इसके अतंर्गत आने वाले कार्यो में गुणवकता लाई जा सके. परन्तु ऐसा न हो सका और दिन-प्रतिदिन परिस्थितियां बद से बदतर होती चली गयीं. तीनों निगमों में आए दिन किसी न किसी समस्या को लेकर धरना प्रदर्शन होते आ रहे हैं. कभी कर्मचारियों की सैलरी तो कभी संसाधनों की कमी अन्य कारणों से काम का माहौल नहीं बनता. हाल के दिनों में अपनी राजनीति चमकाने के कारण निगमों के सत्ता और विपक्ष के नेता धरने का सहारा लेते नजर आए, परन्तु किसी भी दल को दिल्ली की जनता से कोई सरोकार नहीं दिखता. दिखता है तो सिर्फ राजनीतिक नफा नुकसान. कारण यह है कि दिल्ली में निगमों के चुनाव का समय नजदीक आ रहा है. दिल्ली के नागरिकों को इन नेताओं और निगम के अधिकारियों का खामयाजा भुगतना पड़ रहा है. ताजा मामला साउथ दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले मादीपुर (वार्ड 001-एस) का हैं जिसमें आवारा पशुओं का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जिस कारण आए दिन दुर्धटना हो रहीं हैं. डेयरी उद्योग से जुड़े लोग अपने फायदे के लिए जानवरों को क्षेत्र में खुला छोड़ देते हैं. ये जानवर इधर-उधर खाने की तलाश करते हुए दिन भर घूमते रहते हैं. पयाप्त खाना न मिलने के कारण प्लास्टिक की थैलिया तथा अन्य वस्तुए खाते हैं जो कि इनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो हैं ही, वातावरण के लिए भी अनुकूल नहीं है. दूसरी और इस वार्ड के कई पार्को की स्थिति भी बड़ी दयनीय हैं जर्जर स्थिति होने के बावजूद रख-रखाव से नाम पर पार्को पर कर्मचारियों के नाम इंगित किए गए हैं जो कि कभी भी इन पार्को मे नजर तक नहीं आए. ऐसा प्रतीत होता हैं कि इन पार्को में कार्यरत कर्मचारी सिर्फ सैलरी लेने के लिए ही अपना नाम इंगित कराए हुए है. कहीं ऐसा तो नहीं कि इन कर्मचारियों को किन्हीं बड़े अधिकारियों और नेताओं की शरण प्राप्त तो नहीं. इस वार्ड का नेतृत्व पूर्व महापौर और वर्तमान पार्षद श्रीमती सुनीता कांगड़ा जी करती हैं जो इसी वार्ड की स्थानीय निवासी है तथा वे इस वार्ड की समस्याओं से भलिभांति परिचित हैं. परन्तु खेद है कि अधिकारी गण उनके द्वारा दिए गए निर्देशों को अनदेखा करते रहतें हैं. ऐसा लगता है कि पार्षद का उन अधिकारियों पर कोई प्रभाव ही नहीं है. अब स्थानीय नागरिकों को देखना होगा कि इन समस्याओं से निजात पाने के लिए खुद ही कोई कारगर कदम उठाने होंगें और अपने क्षेत्र के सर्वागीण विकास के बारे में सोचना होगा. निगम की लापरवाही के कारण आवारा पशु इधर से उधर धूमते हैं इस कारण कुछ लोग इनमें से कुछ पशुओं को अपने स्थान में बाधकर उनका गलत इस्तेमाल करते हैं. मसलन गाय का दूध निकाल लिया जाता हैं. यह चोरी ही नहीं एक बड़ा दाग हैं. इसके लिए भाजपा के वो जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं जो गौसेवा और गौशाला के नाम पर लाखों का बजट हजम कर जाते हैं और डकार भी नही लेते. गौरतलव है कि इसके लिए निगम पार्षदों को अलग से सुविधा दी जाती है. इन सूविधाओं में इन पशुओं के लिए चाराआदि की व्यवस्था की जाती हैं वहीं हर विधानसभा में चार निगम पार्षदों के सहयोग से एक भूसाबैंक की स्थापना केन्द्र सरकार की फाइलों की शोभा बढ़ा रही हैं. इसके लिए केन्द्र सरकार ने दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर को दोषी ठहराया है.

Published: 18-09-2020

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