कौन कर रहा है राजा की किलेबंदी
विकल्प शर्मा : शिमला : हिमाचल प्रदेश में मतदाता नयी सरकार चुनने की यात्रा के अंतिम पड़ाव पर है और फैसला लगभग हो चुका है. वायदे, आश्वासन के बीच अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि किलेबंदी राजा वीरभद्र सिंह की हो रही है या कांग्रेस के अंदरखाने राहुल गाँधी के इस बड़े फैसले को कांग्रेस के ही कुछ बड़े लोगों ने चुनौती देने का मन बना लिया है. हिमाचल के कांग्रेस के परिदृश्य को यदि गंभीरता से देखें तो ऐसा लग रहा था कि पूरी कांग्रेस अलग थी और राजा केवल अपने दम पर हिमाचल में अपनी साख बचने की जी तोड़ लड़ाई लड़ रहे थे. एक सवाल बहुत अहम् है कि २०१७ का चुनाव हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा के बीच था या फिर राजा वीरभद्र सिंह और कांग्रेस के कई ध्रुवों के बीच था. जब राजा ने अपनी चुनावी रणनीति बनाई तो ये तय किया गया था कि सोनिया गाँधी भी हिमाचल का दौरा करेंगी लेकिन अंतिम समय में सोनिया का कार्यक्रम बदल गया. वीरभद्र सिंह को हिमाचल में चेहरा बनाने का फैसला राहुल गाँधी ने अपने कुछ सलाहकारों की सलाह पर किया. क्या सोनिया इस फैसले से खुश नहीं थीं . फिर जिस तरह से ठियोग विधानसभा में हिमाचल की कद्दावर कांग्रेस की नेत्री विद्या स्टोक्स का नामांकन ख़ारिज हुआ उस पर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि पंजाब में मिली बड़ी जीत के बाद लोग ये आंकलन करने लगे थे कि पंजाब बगल का राज्य होने की वजह से कांग्रेस को हिमाचल में बड़ी मदद मिलेगी लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री हिमाचल के चुनावी परिद्रश्य से गायब रहे. माना ये जा रह है कि पंजाब की प्रभारी आशा कुमारी ने उन्हें हिमाचल न आने की सलाह दी थी. गौरतलब है कि आशा कुमारी सीधे सोनिया गाँधी के निर्देश पर काम कर रहीं थीं. उधर आनंद शर्मा राजा का चेहरा घोषित होने से पहले यह अनुमान लगाये बैठे थे कि इस बार उनका नम्बर जरूर लग जायेगा. लेकिन आनंद शर्मा पूरे चुनाव में राजा के किले में सेंध लगाने में लगे रहे. शर्मा ने मुख्य रूप से शिमला ग्रामीण की सीट को टारगेट किया जहाँ से वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरी तरफ हिमाचल कांग्रेस के सभी बड़े नेता अपनी अपनी सीट तक सीमित रहे. यहाँ तक कि प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्कू अपनी सीट नादौन को छोड़ कर कहीं नहीं गए. सुक्कू और राजा में छत्तीस का आंकड़ा है ये किसी से छिपा नहीं है. मोदी तो राजा को टारगेट कर ही रहे थे लेकिन राजा भी कांग्रेस में अन्दर खाने बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. कहा जा सकता है कि हिमाचल में राजा का ये अंतिम चुनाव हो.