बिसवां -सीतापुर/श्रीराम-जानकी मंदिर रामा भारी में चल रही रामकथा में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कथा व्यास कन्हैयालाल शास्त्री ने कहा हम सब सीतापुर जनपद निवासी भक्तजनों को गर्व होना चाहिए हम सब उस पावन क्षेत्र में जन्मे जहां भगवान राम के जन्म की भूमिका रची गई। सीतापुर जनपद में स्थित नैमिषाराण्य में मनु शतरुपा ने कठोर तपस्या करके भगवान विष्णु को अपने पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा था। तब भगवान विष्णु ने एवमस्तु कहते हुए वरदान दिया था कि जब त्रेतायुग में आप अयोध्या के राजा दशरथ व शतरुपा आपकी रानी कौशल्या के रूप में जन्म लेंगी तब मैं तुम्हारे पुत्र के रूप में उत्पन्न हूंगा।
इसी क्रम में उन्होंने बताया वाल्मीकि रामायण के अनुसार नैमिष क्षेत्र में स्थित सीताकुंड स्थल पर ही माता सीता भूमिगत हुईं थीं और यही पर भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था । शास्त्री जी ने बताया इस बात की पुष्टि साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु ने अपने खंडकाव्य वनदेवी सीता में भी की है। उन्होंने अनेकों प्रसंग सुनाते हुए कहा तीर्थ स्थल पर की गई भगवान की तपस्या एक न एक दिन अवश्य फलीभूत होती है इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है। उन्होंने कहा तपस्या का अर्थ है लोक कल्याण हेतु तन-मन-धन से समर्पित होना। कथा व्यास श्री शास्त्री जी ने बताया भगवान राम का पूरा जीवन वैयक्तिक सुख व स्वार्थ से ऊपर उठकर लोक कल्याण हेतु समर्पित था। उन्होंने कहा आज आवश्यकता है प्रत्येक नागरिक राम के आदर्शो पर चलते हुए निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर लोक कल्याण हेतु समर्पित हो तभी रामराज्य की संकल्पना पूरी होगी। कथा का समापन आरती व प्रसाद वितरण से हुआ। यजमान रामनरेश पुजारी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।