अंतर्राष्ट्रीय गीता मिशन के ओडिशा के डा. स्वामी चिदानंद ने सत्संग के अवसर पर कहा कि गुरु को ही साक्षात परब्रह्म कहा जाता है तथा गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समकक्ष माना जाता है। उन्होंने कहा कि आज चाहे हम सुविधाओं से युक्त आधुनिक समाज में है लेकिन समझना होगा कि गुरु ही शिष्य को गढ़ते हैं, उनका पालन-पोषण करते हैं और उनके दुर्गुणों का नाश करते हैं। गुरु ही अपने शिष्यों का कल्याण करते हैं। डा. स्वामी चिदानंद ने सच्चा गुरु किसी वस्तु, द्रव्य, धन, की आस नही रखता है। उसका काम लेना नहीं वरन देना ही होता है। गुरुजनों के मार्गदर्शन में ही विश्व की महान विभूतियों ने आकार लिया है। गुरुजनों के त्याग, तपस्या व ज्ञान के आलोक में ही सभ्यता और संस्कृतियों का उन्नयन हुआ। गुरु, रक्षक, सृजक और पथ प्रदर्शक हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
डा. स्वामी चिदानंद।
- वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक