शुरू हो गयी हिमाचल में उथल पुथल
विकल्प शर्मा : देवभूमि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला भीषण गरमी में भी अपनी सर्द हवाओं के लिये ीलोकप्रिय है लेकिन इन दिनों यहां का राजनीतिक पारा काफी गरम है। यहां नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस इस मामले में अभी शांत बैठी हुई है लेकिन बड़ी खबर आ रही है कि हिमाचल की रणनीति स्वयं सोनिया गांधी तय करेंगी।
कांग्रेस बड़ दांव चलते हुए यहां वीरभद्र सिंह को पीछे कर चन्द्रेश कुमारी पर दांव खेल सकती हैं। इधर वीरभद्र ने बाबा रामदेव को अपने कब्जे मे करने की सभी राजनीतिक गोटियां बिछा दी हैं। लेकिन इससे बड़ी खबर भाजपा खेमे से आ रही है। मोदी शाह की जोड़ी ने शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल के गुटीय संघर्ष पर विराम लगाते हुए केन्दीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का नाम आगे कर दिया है। शाह ने कांग्रेस के मजबूत किलों में सेंध लगाने का काम शुरू कर दिया है। वीरभद्र मंत्रिमंडल में मंत्री और नगरोटा से विधायक जीएस बाली को भाजपा में लाने का रास्ता साफ कर लिया है। बाली पिछले तीन टर्म से विधायक हैं और कांगड़ा संभाग की राजनीति में बड़ा दखल रखते हैं। दरअसल शांता कुमार और घूमल के आंतरिक द्वंद्व के कारण कांगड़ा पिछले दस वर्षों से भाजपा की जमीन कमजोर करता रहा है।
घूमल के मुख्यमंत्री रहते हुए भी कांगड़ा को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। इस पर शांता कुमार ने केन्द्रीय नेतृत्व पर सीधा हमला बोला था कि पार्टी ने एक बाहरी व्यक्ति के हाथ में हिमाचल की सत्ता सौंप कर हिमाचल को बेच दिया है। दरअसल उनके सीधे निशाने पर प्रेम कुमार धूमल हैं। शांता कहते हैं कि धूमल का हिमाचल से कोई संबंध नहीं है। यह तो जालंधर के व्यवसायी थे जो हिमाचल व्यापार करने आये थे और यहां इन्होंने राजनीति का सौदा करना शुरू कर दिया। उधर धूमल शांता कुमार पर आरोप लगाते हैं कि शांता ने कांगड़ा को बरबाद कर दिया है। दरअसल केन्द्रीय नेतृत्व भी इसके लिये कम जिम्मेदार नहीं है। वो इन्हीं दोनों के बीच फुटबॉल मैच खेलता रहा। लेकिन जिस तरह से शांता कुमार ने नरेन्द्र मोदी का खुल कर विरोध किया था यह उसी समय तय हो गया था कि भाजपा दोनों के विकल्प की जोरदार तलाश कर रही है।
इस दृष्टि से जनमत सर्वेक्षण के दौरान नड्डा का नाम उभर कर सामने आया है। हमीरपुर से लेकर कांगड़ा तक नड्डा को व्यापक जनसमर्थन मिलता देख लगभग उनके नाम पर मोहर लगा दी गयी है। बड़ी खबर ये है कि कई मौजूदा विधायकों के क्षेत्रों में फेरबदल किया जा सकता है।