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जनभागीदारी का जी 20 : आम जन का कार्यक्रम

‘मन की बात’ कार्यक्रम में बोलते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 की भारत की अध्यक्षता को ‘जनता की अध्यक्षता’ करार दिया। यह व्याख्या और प्रेरणा दोनों ही है, जो इस तथ्य को रेखांकित करती है कि कैसे देशभर में हमारे विचारों एवं ऊर्जा के उपयोग ने वास्तव में जी20 को यादगार बनाने में मदद की है।

आम जन का  कार्यक्रम
आम जन का कार्यक्रम
जी20 की भारत की अध्यक्षता कई मायनों में अनूठी साबित हुई है। इसने विकासशील देशों की प्राथमिकताओं एवं प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केन्द्रित किया है, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज को मुखर किया है और जलवायु कार्रवाई एवं वित्त, ऊर्जा रूपांतरण, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के कार्यान्वयन तथा तकनीकी बदलाव जैसे क्षेत्रों से जुड़ी महत्वाकांक्षाओं को सशक्त किया है। जिस बात ने जी20 की भारत की अध्यक्षता को और अधिक असाधारण बनाया है,
 
वह है जी20 से संबंधित विभिन्न आयोजनों एवं गतिविधियों में देशभर के लोगों की व्यापक भागीदारी या ‘जन भागीदारी’। यह अध्यक्षता सिर्फ सरकार के शीर्ष स्तर तक ही सीमित नहीं रही है। विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र - शासित प्रदेशों के लोगों की सक्रिय भागीदारी के जरिए, जी20 की भारत की अध्यक्षता सही अर्थों में ‘आम जन का जी20’ साबित हुई है।
 
कुल 60 शहरों में आयोजित लगभग 220 बैठकें, जी20 की विभिन्न बैठकों में लगभग 30,000 प्रतिनिधियों की उपस्थिति, इन बैठकों से जुड़े विभिन्न सहयोगी कार्यक्रमों में 100,000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ-साथ देश के सभी कोने से नागरिकों की भागीदारी, जी20 की अध्यक्षता विभिन्न तरीकों से आम लोगों के साथ जुड़ी हुई है। विभिन्न संबंधित मंत्रालयों ने पूरे उत्साह के साथ सक्रिय भागीदारी को प्रेरित किया है। शिक्षा मंत्रालय ने जनभागीदारी पर आधारित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है।
 
इन कार्यक्रमों में विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों एवं बड़े पैमाने पर समाज के विभिन्न हितधारकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही है। राज्य और जिले से लेकर प्रखंड, पंचायत व स्कूल स्तर पर आयोजित इन कार्यक्रमों ने जी20, राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा बुनियादी शिक्षा एवं संख्यात्मकता, जोकि जी20 की भारत की अध्यक्षता की प्रमुख प्राथमिकताएं हैं, के बारे में जागरूकता पैदा की है। इन आयोजनों में सामूहिक रूप से 23.3 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है।
 
इनमें 15.7 करोड़ विद्यार्थी, 25.5 लाख शिक्षक और 51.1 लाख समाज के सदस्य शामिल हैं।  फिर भी, इस जनभागीदारी के मायने भागीदारों के आंकड़ों से कहीं आगे तक फैले हैं। आकर्षक गतिविधियों की एक श्रृंखला ने व्यापक एवं उत्साहपूर्ण जुड़ाव को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
 
इस श्रृंखला में ज्ञानवर्धक ‘जी20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट’ व्याख्यान श्रृंखला से लेकर संवादात्मक ‘मॉडल जी20’ बैठकें, शैक्षणिक संस्थानों में विशेष जी20 सत्र, प्रमुख त्योहारों के अवसर पर ‘जी20 पैवेलियन’, क्विज प्रतियोगिता, सेल्फी प्रतियोगिता और मनमोहक #जी20इंडिया की कहानियां जैसी गतिविधियां शामिल हैं। विभिन्न कार्य समूहों ने सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नवीन साधनों का उपयोग किया है। विशेष रूप से, जी20 बुनियादी ढांचे से जुड़े कार्य समूह ने राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर जी20
 
साइक्लोथॉन और एक मोटरसाइकिल रैली का आयोजन किया। इसके अलावा, जी20 की भारत की अध्यक्षता ने देश के सहकारी संघवाद के विशिष्ट मॉडल को रेखांकित किया है।
 
विभिन्न राज्यों और केन्द्र - शासित प्रदेशों ने जी20 के प्रतिनिधियों का स्वागत करने, स्थानीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर उत्साह जगाने और अपनी-अपनी परंपराओं एवं उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा की है। कई मामलों में, इसने विकास की उन पहलों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान किया है जिन्होंने इस तरह के आयोजन में योगदान दिया है। मणिपुर में लोकटक झील का जीर्णोद्धार, मुंबई में शहरी स्वच्छता अभियान या लखनऊ में बुनियादी ढांचे का उन्नयन इसके कुछ उदाहरण हैं।
 
इस प्रकार के समन्वय ने न केवल वैश्विक मंच पर स्वदेशी सांस्कृतिक विरासतों एवं कारीगरों के कौशल को प्रदर्शित किया है, बल्कि विविध समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाए हैं। कई प्रतिनिधियों ने खुद जाकर ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) की समृद्ध पहल को देखा और विभिन्न कारीगर केन्द्रों का अवलोकन किया। इसके अलावा, इसने भारत के मनोरम प्राकृतिक परिदृश्यों और स्थापत्य संबंधी वैभव को प्रभावी ढंग से सामने रखा है, जिससे कोविड के बाद के काल में पर्यटन क्षेत्र का ठोस तरीके से पुनरुत्थान हुआ है। निश्चित रूप से जी20 कार्यक्रम को जिस तरह से देशभर में लागू किया गया है, उसके आर्थिक लाभ निरंतर सामने आ रहे हैं।
 
देशभर में जी20 का उत्सव मनाकर, हमने समग्र रूप से राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा वातावरण बनाने की कोशिश की है जो भारत और दुनिया, दोनों के लिए लाभदायक साबित हो। यह बात पूरी गंभीरता से कही जा सकती है कि कुल मिलाकर इसने भारत को वैश्विक स्तर के लिए तैयार तथा पूरे विश्व को भारत के लिए और अधिक तैयार कर दिया है।
 
विभिन्न कार्य समूह और सहभागिता समूह भी विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर सामाजिक रुचि एवं प्रतिबद्धता पैदा करने के एक शक्तिशाली मंच साबित हुए हैं। विज्ञान जैसे मामलों में, उन्होंने हमारे सामने पेश आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में सहयोगात्मक सोच के निर्माण में योगदान दिया है। इसी प्रकार, श्रम के मुद्दे पर पारस्परिक लाभ के लिए अनुभवों के आदान-प्रदान के अवसर प्रदान किए गए। ‘युवा 20’ विशेष रूप से प्रभावशाली रहा और इसने जनभागीदारी के दृष्टिकोण को मजबूत तरीके से पुष्ट किया।
 
कुल 1563 बैठकों में 125,000 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी भारत की अध्यक्षता के तहत एक ऐसी ऊर्जा का संचार करने में सक्षम रही, जो वास्तव में उल्लेखनीय थी। अकेले ‘सिविल 20’ ने दुनिया भर के 45 लाख लोगों पर प्रभाव डाला। जी20 की प्रक्रिया में सोशल मीडिया एक ऐसे महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभरा, जिसने नागरिकों को प्रेरित किया तथा सार्वजनिक सहभागिता को प्रज्वलित किया। इसके परिणामस्वरूप सोशल मीडिया पर 14 ट्रिलियन से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं।
 
जनभागीदारी के क्रम में दो विश्व रिकार्ड बने। वाराणसी में जी20 क्विज में 800 स्कूलों के 1.25 लाख विद्यार्थियों का शामिल होना, इनमें से एक था। वहीं, 450 लम्बानी कारीगरों ने कढ़ाई के लगभग 1,800 अनूठे पैच का एक अद्भुत संग्रह बनाकर अपने कौशल और शिल्पकारी का प्रदर्शन किया। 
 
भारत की अध्यक्षता के दौरान उन विषयों पर व्यापक बहस एवं चर्चाएं हुई हैं, जो हमारी सामूहिक संभावनाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। उनमें से वैसी चर्चाएं प्रमुख थीं जिनमें समाज की स्वीकृति संलग्न थी क्योंकि कोई भी लक्ष्य तभी व्यवहार्य होगा जब उसका संदेश वैश्विक समुदाय के माध्यम से फैले।
 
लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) इसका एक अच्छा उदाहरण है, जो हमारी दैनिक आदतों में पर्यावरण के अनुकूल बदलावों को प्रोत्साहित करता है। इसी तरह, डिजिटल डिलीवरी पर प्रकाश डालना हम सभी को अपने नियमित लेनदेन में डिजिटल सुविधा को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। महिलाओं के नेतृत्व में विकास पर ध्यान अपनी ओर से सामाजिक प्रगति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। यहां तक ​​कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने पर जोर तभी बढ़ेगा,  जब वैश्विक समृद्धि में इसके महत्व के बारे में व्यापक स्तर पर जागरूकता होगी।
 

Published: 08-09-2023

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