वर्षा का मौसम बहुत सारे इन्फेक्शन और संक्रमण का कारण बनता है। पहला कारण तापमान है। जिस समय वर्षा होती है उस समय तापमान गिर जाता है। जिससे नमी और शरीर में चिपचिपाहट होने लगती है। तेज धूप निकलती है तो तापमान बढ़ जाता है। इसलिए कीटाणुओं से होने वाले रोग वर्षा के मौसम में बहुत परेशान करते हैं। ये भी फैलने वाले रोग होते हैं ।
इस बार का कंजेक्टिववाइटिस वायरस बहुत उग्र है। यह आमतौर पर जुकाम से जुड़े संक्रामक वायरस के कारण होता है। यह ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण वाले किसी व्यक्ति के खांसी या छींकने के संपर्क से हो सकता है। इसमें कंजेक्टिववाइटिस के अन्य लक्षणों के साथ ठंड, फ्लू या अन्य श्वसन संक्रमण के लक्षण भी हो सकते हैं यह तेजी से फैल रहा है।
इसकी संख्या भी ज्यादा हो रही हैं वैसे तो सात दिनों तक रहता है । इसके जटिल सिम्टम्स तीनों दिनो तक रहते हैं । इसके लिए आप हवादार घरों में रहें। घर में नमी और चिपचिपाहट न हो। पानी से आंखे धोएं साथ ही पानी खूब पिएं। आंखो को गंदे हाथो से न छुए को चश्मे को गंदा न करें जिस व्यक्ति को यह संक्रमण है वह कवर चश्मों का ही उपयोग करे। वही आजकल इसे बैक्टेरिया इन्फेक्शन भी मिल रहा है । जिससे आंखो में चिपचिपाहट भी होती है। इसके लिए होम्योपैथी में युफ्रेशिया से बने हुए आंखो को धोने वाले ड्रॉप का ही उपयोग करे, जो आंखो को धोने के लिए ही होता है।