पर्यावरण दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया में पर्यावरण को लेकर, चिंतन और मंथन के कार्यक्रम जगह जगह किए जाते है। बावजूद इसके हर साल पर्यावरण को लेकर अच्छी खबरें नही सामने नही आती।
राणा का पर्यावरण को लेकर लगाव इस बात से देखा जा सकता है कि, उन्होंने अपने घर को ही प्रकृति के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने अपने घर में वनस्पतियों और फलदार वृक्षों द्वारा छत से लेकर और गार्डन तक को सराबोर किया है। जिसकी वजह से उनके घर पंछी, कीट पतंगे, पशु अनेकों प्रकार की चिड़ियां समेत मोर का जमावड़ा दिखाई देता है। राणा गिलोई वनस्पति को राष्ट्रीय औषधि का दर्जा दिलवाने के लिए, लंबे समय से कार्यवाही कर रहे है। जहां भी जाते है, गिलोई का रोपण करते है और लोगो को भी गिलोई वितरण कर अभियान के लिए जागरूक करते है। इससे लेकर वह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, संबंधित मंत्री, विभाग समेत सभी सांसदों को पत्र लिखते रहते है।
जिसमे उनकी मुलाकात हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री से हुई थी। राणा अपने दैनिक ज्यादातर कार्य साइकिल और इलेक्ट्रिक वाहन से ही किया करते है। राणा का कहना है कि जल, जंगल, जमीन और जलवायु को संरक्षण के कामों के अच्छे संकेत नही मिल रहे है। कहा पर्यावरण को लेकर जो आंकड़े सामने आते है, वह चिंताजनक है। कहा आज पानी के पोखर विलुप्त होते जा रहे है? पेड़ों की घटती संख्या चेतावनी दे रही है? नदियां दूषित होती साफ दिखाई देती है? पशु पक्षी के जीवन का संकट बना हुआ है? हवा जहरीली होती जा रही है? मौसम में बदलाव भी देखा जा सकता है!
पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है! ग्लेशयर पिघल रहे है? विज्ञानिक चेतावनी जारी कर रहे है! यह सभी परिणाम, पर्यावरण को लेकर हम सब की मेहनत का ही सूचनांक है। राणा ने कहा पर्यावरण को लेकर सरकारों को प्राथमिकता दिखानी होगी। तो समाज को पर्यावरण को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। क्युकी यह कवायद हम सबके अस्तित्व की है।