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प्रधानाचार्य कक्ष नहीं : प्रेरणा कक्ष होना चाहिए : यतीन्द्र

विद्या भारती ने अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्यों का किया सम्मान

 प्रेरणा कक्ष होना चाहिए : यतीन्द्र
प्रेरणा कक्ष होना चाहिए : यतीन्द्र

विद्या भारती के प्रधानाचार्यों ने अपने समर्पण ध्येयनिष्ठा और प्रतिबद्धता के बल पर श्रेष्ठ विद्यालयों को स्थापित किया और उन्हे प्रतिष्ठा दिलाई, ऐसे प्रधानाचार्यों का व्यक्तिगत जीवन और संस्था में कार्य व्यवहार उनके छात्रों, अभिभावकों और समाज के लोगों के लिए प्रेरणादायी रहा है। इसी कारण हमारे विद्यालयों के प्रधानाचार्य कक्ष को प्रेरणा कक्ष नाम दिया जा सकता है। उक्त बातें विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मा. यतीन्द्र जी ने व्यक्त की। वे निराला नगर स्थित सरस्वती कुंज में भारतीय शिक्ष्रा समिति उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

यतीन्द्र जी ने कहा कि विद्या भारती शिक्षा के भारतीय मूल्यों और वैश्विक ज्ञान दोनों के युगानुकूल समन्वय पर आधारित शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रतिकूल परिस्थितियों के मध्य भी हमारे आचार्यों एवं प्रधानाचार्यों ने अपने परिश्रम से समाज के बीच विद्या भारती को स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई है।नई शिक्षा नीति के निर्माण एवं क्रियान्वयन दोनों में हमारे प्रधानाचार्यों की बड़ी भूमिका है। बेहतर समाज निर्माण के लिए चरित्रवान, राष्ट्रभक्त और संवेदनशील पीढ़ी निर्माण का चुनौतीपूर्ण कार्य हम कर रहे है। शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मूल्यों के प्रति आस्था और आध्यात्म के समन्वय के हम पक्षधर हैं। धर्म विहीन शिक्षा समाज का भला नहीं कर सकती है।

उन्होंने कहा कि हमने प्रारम्भ काल से ही शिक्षा व्यवस्था बदलने का लक्ष्य रखा था। आज हम नई शिक्षा नीति के द्वारा इस कार्य को आगे बढ़ा रहे है। शिक्षा के माध्यम से समाज बदलना, बालक के जीवन को बदलना, आचार्यों के मनोभाव को बदलना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता, छात्रों को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ हमारी शिक्षा पद्धति का उद्देश्य राष्ट्र का निर्माण करना भी है। धर्म का ज्ञान, धर्म के प्रति आस्था तथा धर्म आधारित शिक्षा होनी ही चाहिए। बिना धर्म के शिक्षा महत्वहीन है। विद्या भारती ने विद्या को अपनाया है, न कि शिक्षा को, क्योंकि विद्या में ही संस्कार, संस्कृति, चरित्रवान बालक का निर्माण व राष्ट्र की भावना निहित है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी, ज्ञान के विस्फोट व तकनीकी की सदी है। आज प्रतिस्पर्धा के इस युग में शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग अति आवश्यक है। उन्होंने प्रधानाचार्यों से बालकों व आचार्यो के प्रति भेद भाव न कर अपने आचरण व व्यवहार से एक टीम भावना व समन्वय की भूमिका स्थापित कर विद्यालयों के विकास की अपेक्षा की।

कार्यक्रम में अवकाश प्राप्त वरिष्ठ प्रधानाचार्यों को सम्मानित किया गया। अतिथियों का परिचय प्रदेश निरीक्षक रामजी सिंह ने कराया व आभार ज्ञापन भारतीय शिक्षा समिति के अध्यक्ष  हरेन्द्र श्रीवास्तव ने किया।
इस कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा समिति के मंत्री महेन्द्र कुमार सिंह, क्षेत्रीय प्रशिक्षण प्रमुख दिनेश सिंह, विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख  सौरभ मिश्रा, विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख  भास्कर दूबे जी, क्षेत्रीय बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्र, क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख राजेन्द्र बाबू, सम्भाग निरीक्षक सुरेश कुमार व अवनीश कुमार समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

 


Published: 01-05-2023

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