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अट्टहास शिखर सम्मान कथाकार बलराम को : अट्टहास युवा सम्मान व्यंग्य रेखाकार सागर कुमार को

यह घोषणा पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा, पूर्व प्रधान आयकर आयुक्त राकेश पालीवाल, सुभाष राय(प्रधान सम्पादक जन सन्देश टाइम्स), वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र वर्मा, युवा व्यंग्यकार पंकज प्रसून, माध्यम साहित्यिक संस्थान दिल्ली एवम एन सी आर के प्रभारी अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय, मध्य प्रदेश में माध्यम के प्रभारी अध्यक्ष अरुण अर्णव खरे, महाराष्ट्र में माध्यम की प्रभारी अध्यक्ष डॉ आभा सिंह की निर्णायक समिति ने सर्वसम्मति से की.

अट्टहास युवा सम्मान व्यंग्य रेखाकार सागर कुमार को
अट्टहास युवा सम्मान व्यंग्य रेखाकार सागर कुमार को

देश का प्रख्यात बहुचर्चित तैतीसवां अट्टहास शिखर सम्मान कथाकार बलराम (दिल्ली)और अट्टहास युवा सम्मान व्यंग्य रेखाकार सागर कुमार (रायपुर) को दिया जाएगा. यह घोषणा पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा, पूर्व प्रधान आयकर आयुक्त राकेश पालीवाल, सुभाष राय(प्रधान सम्पादक जन सन्देश टाइम्स), वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र वर्मा, युवा व्यंग्यकार पंकज प्रसून, माध्यम साहित्यिक संस्थान दिल्ली एवम एन सी आर के प्रभारी अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय, मध्य प्रदेश में माध्यम के प्रभारी अध्यक्ष अरुण अर्णव खरे, महाराष्ट्र में माध्यम की प्रभारी अध्यक्ष डॉ आभा सिंह की निर्णायक समिति ने सर्वसम्मति से की. माध्यम साहित्यिक संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कप्तान सिंह और राष्ट्रीय महासचिव अनूप श्रीवास्तव निर्णायक समिति के पदेन सदस्य हैं. यह जानकारी दिल्ली एवम एन सी आर के अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय ने आज माध्यम की बैठक के बाद दी.

बलराम हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं के सर्जक है, बल्कि कहना चाहिए कि वे विधा की परिधि को लाँघते भी हैं तो अतिशयोक्ति न होगी. वे कथाकार हैं, व्यंग्यकार हैं, संस्मरणकार हैं और आलोचक तो हैं ही. उनकी आलोचना का उद्देश्य किसी को उखाड़ना या पछाड़ना नहीं, बल्कि उस आलोचना-धर्म का पालन करना है जो सृजन के उद्देश्य और उसकी समय-सापेक्षता की पड़ताल करती है और सर्जक की उस दृष्टि से परिचित कराती है जो सामान्य पाठ से सामने नहीं आ पाती. उनकी आलोचना में रचना इसलिए स्थान नहीं पाती कि वह वामपंथी है या दक्षिणपंथी, बल्कि इसलिए कि वह आलोच्य है, उसकी उपयोगिता है. वे ज़मीन से जुड़े रचनाकार हैं. ग्राम्य और नगरीय चेतना, दोनों का विस्तार उनके यहाँ विद्यमान है. वे जहाँ ग्राम्य-अनुभव से सम्पृक्त हैं, वहीं नगरीय जीवन की विसंगतियों और विद्रूपताओं को गहराई से अनुभूत करते है. यही कारण है कि वे चाहे कहानी लिखें, लघुकथा लिखे, संस्मरण लिखें या आलोचना— हर क्षेत्र में उनका अनुभवसिक्त और तार्किक रचनाकार पूरी संवेदना के साथ मौज़ूद रहता है.

यही हाल व्यंग्य का है. यह उनकी रचनाओं में पूरी संजीदगी के साथ आता है. ज़मीनी अनुभव का जब मार्मिक भाषा से संयोग होता है तो रचना में विश्वसनीयता उत्पन्न होती है, वह तासीर पैदा होती है जो बनावटी तत्त्वों से नहीं पैदा की जा सकती है. वायवीय बातों के जाल में रचना दीर्घजीवी नहीं हो सकती. यह बात उनके लेखन और आलोचना-कर्म में बार-बार देखने को मिलती है. भाषा का पात्रों और परिवेश के साथ बर्ताव कैसा हो— यह सीखने में उम्र बीत जाती है और कभी-कभी यह हाथ भी नहीं लगती, लेकिन बलराम जी की रचनाधर्मिता और आलोचना की प्रविधि हमें आश्वस्त करती है कि हाँ, पाठकीय परिश्रम व्यर्थ नहीं जाने वाला, समकाल में रचना का आस्वाद जिस दृष्टि-सम्पन्नता के साथ मिलना चाहिए, वह मिलकर रहेगा. कहना न होगा कि किसी रचना में व्यक्तिगत चेतना जब लोकचेतना से जब सम्पृक्त हो जाती है, तो उसका दायरा किसी हिंदी पट्टी तक ही सीमित नहीं रह जाता. बड़े रचनाकार प्रायः यह कार्य सम्पादित कर जाते हैं. उनका उल्लेख होते रहना चाहिए. अपना लेखन तो सभी करते हैं, अपने समकालीनों पर किसी विमर्श के साथ लिखना रचनाकार को अलग पहचान देता है.

माध्यम ने पहली बार व्यंग्य रेखाकार रूप में किसी व्यंग्य रेखाकार को अट्टहास सम्मान से नवाजेगा. व्यंग्य रेखाकार सागर किसी परिचय के मोहताज नही है. उन्होंने फुलब्राइट डी ए आई स्कॉलर शिप(आई यू पी यूनिवर्सिटी अमेरिका से प्रशिक्षण लिया. पत्रकारिता और जनसंचार में गोल्ड मेडलिस्ट हैं, मास्टर इन जूलॉजी, मास्टर इन इकोलॉजी एंड इनवायरमेंट किया. राष्ट्रपति द्वारा दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार पाया. जापान,ब्राजील, साउथ अफ्रीकाऔर अमेरिका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का पत्तिनिधित्व किया. व्यंग्य रेखाकार के रूप में 27 वर्षो का अनुभव है. अमेरिका की पत्रिकाएं लिटिल इंडिया,बोलोजी डॉट कॉम, नवभारत टाइम्स,माया ,शुक्रवार, सन्तुलन,दैनिक अग्रदूत, दैनिक भास्कर, समाचार लोक सहित अट्टहास हास्य व्यंग्य मासिक से नियमित रूप से जुड़े हैं.

माध्यम साहित्यिक संस्थान का नामकरण गुरुवर हजारी प्रसाद द्विवेदी ने किया था और इसकी विधिवत स्थापना डॉ हरिवंशराय बच्चन, डॉ शिव मंगल सिंह सुमन,डॉ विद्या निवास सुमन, श्री ठाकुर प्रसाद सिंह, डॉ चन्द्र देव सिंह ने 65 साल पहले की थी और इसके संचालन का दायित्व माध्यम के महासचिव अनूप श्रीवास्तव को सौंपी थी. अट्टहास सम्मान प्रदान करने के लिए पांच लाख रु की राशि राष्ट्रीय बैंक में जमा की गई थी. उसके ब्याज से अट्टहास शिखर सम्मान (इक्कीस हजार रु) और अट्टहास युवा सम्मान (पांच हजार एक सौ रुपये)का सम्मान 1990 से बिना ब्रेक के अभी तक दिया जाता रहा है. अट्टहास शिखर और अट्टहास युवा सम्मान से श्री मनोहर श्याम जोशी, शरद जोशी, गोपाल प्रसाद व्यास, श्री लाल शुक्ल, लतीफ घोंघी, के पी सक्सेना, सुरेंद्र शर्मा, अशोक चक्रधर, सूर्यबाला, ज्ञान चातुर्वेदी, प्रेम जनमेजय, डॉ हरीश नवल, गिरीश पंकज, आलोक पुराणिक, शैल चातुर्वेदी, प्रदीप चौबे, पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा, सुभाष चन्दर, प्रवीण शुक्ल, अनुराग बाजपेयी, विनोद साव सहित 64 व्यंग्य रचनाकारोंको माध्यम सम्मानित कर चुका है.
यह सम्मान गत 15 नवम्बर को दिल्ली में होना था लेकिन अपरिहार्य कारणों से स्थगित करना पड़ा. अब यह समारोह अगले महीने लखनऊ या नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अट्टहास समारोह में किया जाएगा.


Published: 18-11-2022

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