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पहली बार यूपी में तैयारी विकास के दंगल की

<p>&nbsp;राजेश श्रीवास्तव</p> <div>उत्तर प्रदेश में वर्ष 2०17 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पहली बार विकास की लड़ाई की मुनादी की जा रही है। लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अब तक जो ऐलान किये हैं उसके मुताबिक उनकी लड़ाई का मुख्य मुद्दा विकास ह

पहली बार यूपी में तैयारी विकास के दंगल की
पहली बार यूपी में तैयारी विकास के दंगल की

 राजेश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2०17 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पहली बार विकास की लड़ाई की मुनादी की जा रही है। लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अब तक जो ऐलान किये हैं उसके मुताबिक उनकी लड़ाई का मुख्य मुद्दा विकास ही होगा। अगर यह कहा जाए कि यह दृष्टिकोण अखिलेश सरकार के कामकाज का नजरिया है तो अतिशयोक्ति न होगी। अखिलेश सरकार ने हमेशा अपनी सभाओं व बैठकों में यही कहा कि उनकी सरकार ने बहुत काम किये हैं। उन्होंने विरोधियों को घ्ोरा भी तो विकास के मुद्दे पर। शायद यही कारण है कि हमेशा धर्म व मंदिर-मस्जिद की बात करने वाली व सांप्रदायिक धु्रवीकरण की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी रणनीति बदल दी है। जिस विवादित केशव मौर्य को लाकर भारतीय जनता पार्टी ने कठोर संघ व कट्टर हिंदुत्व का चेहरा बनने की कोशिश की थी उस पर केशव ने यह कहकर पलीता लगा दिया कि वह राम मंदिर नहीं राम राज्य लाने की कोशिश करेंगे। केशव ने तो अब तक साफ कर दिया है कि उनकी लड़ाई का मुख्य मुद्दा विकास होगा। वहीं प्रमुख विपक्षी दल व सत्ता के लिए सपा को कड़ी टक्कर देने का माद्दा रखने वाली बहुजन समाज पार्टी ने भी जाति-पांति, दलित, आरक्षण आदि के मुद्दे को भुलाकर पहली बार विकास की बात की है। बीते दिनों अंबेडकर जयंती पर आयोजित सभा में अपने वोटरों को संबोधित करते हुए कहा कि वह अब पार्कों की राजनीति नहीं करेंगी बल्कि कामकाज को मुद्दा बनायंेगी। यही नहीं, मायावती ने मेट्रो को अपना प्रोजेक्ट बताकर यह साफ कर दिया कि उनकी लड़ाई का मुद्दा विकास ही होगा। इसी तरह कांग्रेस के पीके, राहुल गांधी ने अपनी सभी सभाओं में कामकाज को ही गिनाया। राहुल ने विकास की कसौटी पर बार-बार मोदी सरकार को कसा। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार द्बारा शुरू की गयी हर योजना उनकी पूर्व सरकार की देन है। कुल मिलाकर देख्ों तो 2०17 का मुख्य मुद्दा विकास ही बनने वाला है। अगर ऐसा होता है सबसे ज्यादा फायदे मंे सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी बनने वाली है। ऐसा दो कारणों से है क्योंकि अखिलेश सरकार ने तमाम महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का खाका ही नहीं खींचा बल्कि उन पर अमल भी शुरू कर दिया है। कई योजनाएं तो अपने अंतिम चरण में हैं। आईटी सिटी, स्पोट्र्स सिटी, लखनऊ मेट्रो सरीखी योजनाएं तो बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रही हैं। ऐसे में विकास के मुद्दे पर उसे घ्ोर पाना विपक्षी दलों ेके लिए बेहद कठिन होगा। यही नहीं, सपा के लिए सबसे सुखद यही होगा कि कानून-व्यवस्था का मुद्दा उसेपरेशान नहीं कर सकेगा। उसकी सरकार के लिए सबसे मुफीद यही रहेगा कि कोई ला एंड आर्डर की 
बात न करे। अगर किसी ने कानून-व्यवस्था की बात की तो सपा को जवाब देना बेहद मुश्किल हो जाएगी। सबसे बड़ी बात आम जनता के लिए है कि पहली बार सभी राजनीतिक दल जाति-बिरादरी, मंदिर-मस्जिद व वोटों की राजनीति से ऊपर उठकर भी उसके लिए विकास की बात कर रहे हैं, कम से कम यह सुखद संदेश तो है ही। 

Published: 24-04-2016

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