“ई डब्लू एस आरक्षण” मामले में सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई शुरू की. पिछली सुनवाई में, भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की पांच सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई 13 सितंबर 2022 से पांच कार्य दिवसों में पूरी करने और इसे शुरू करने का प्रस्ताव दिया था.
याचिकाएं संविधान (103वां) संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को चुनौती देती हैं. जनवरी 2019 में संसद द्वारा पारित संशोधन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) को सम्मिलित करके नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था. नव सम्मिलित अनुच्छेद 15(6) ने राज्य को शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण सहित नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान करने में सक्षम बनाया. इसमें कहा गया है कि इस तरह का आरक्षण निजी संस्थानों सहित किसी भी शैक्षणिक संस्थान में किया जा सकता है, चाहे वह सहायता प्राप्त हो या गैर-सहायता प्राप्त. अनुच्छेद 30 (1) के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर. इसमें आरक्षण की ऊपरी सीमा दस प्रतिशत होगी, जो मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगी. राष्ट्रपति द्वारा संशोधन को अधिसूचित किए जाने के बाद, सुप्रीम कोर्ट में आर्थिक आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का एक बैच दायर किया गया था.