अपनी बोली भाषा को महत्व देकर कार्य करना बहुत जरूरी है. यह पुनीत कार्य है. अवधी भाषा के विकास हेतु किए जा रहे कार्यो में निरन्तरता बनाये रखने की जरूरत है. उक्त विचार रमा घरती मन्त्री कानून, बाल, महिला एवं ज्येष्ठ नागरिक लुम्बिनी प्रदेश ने दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अवधी सम्मेलन के दूसरे दिन समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और नेपाल दोनो देश अवधी के विकास और संरक्षण पर मिलकर कार्य करेंगे तो बेहतर परिणाम की संभावना प्रबल होगी. मुख्य अतिथि ने भारतीय साहित्यकार दल के सभी सदस्यों को अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया.
इस अवसर पर भारतीय साहित्यकार दल के मुखिया डा. रामबहादुर मिश्र ने सम्मेलन के पहले दिन लोकगीतों की दशा और आवश्यकता पर अपने विचार रखे. केन्द्रीय संस्कृत विश्रविद्यालय के प्रोफ़ेसर शिशिर पाण्डेय ने अवधी की बढती हुई साख को रेखांकित किया. कुलपति, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्विद्यालय योगेश चन्द्र दुबे ने राम की महिमा का सुन्दर गुणगान किया.
सम्मेलन के दूसरे दिन पशुपति मणि त्रिपाठी द्वारा अवधी लोकनृत्य की दशा एवं आवश्यकता विषयक, अवधी पत्रकार संघ के अध्यक्ष सूर्यलाल यादव द्वारा अवधी लोकनाट्य परम्परा के सैद्धांतिक व्यवहारिक स्थिति विषयक तथा ठाकुर द्वारा अवधी लोककलाओ विषयक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए जिनपर दोनो देशों के विद्वानों द्वारा टिप्पणियाँ कर चर्चा की गई.
सम्मेलन के दूसरे सत्र में बहुभाषिक काव्यपाठ सम्पन्न हुआ जिसमें भारत के शिवपूजन शुक्ला, प्रदीप सारंग, प्रोफेसर योगेश चन्द्र दुबे, गीता शुक्ला गीत, डॉ राम गरीब पाण्डेय विकल, कृष्ण मणि चतुर्वेदी मैत्रेय सहित नेपाल के एक दर्जन कवियों ने स्वरचित अवधी रचनाओं के पाठ किए जबकि नूतन वशिष्ठ ने अवधी कहानी का सस्वर पाठ किया.
दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक विक्रम मणि त्रिपाठी तथा आयोजक संस्था के अध्यक्ष रमेश शर्मा ने देशी विदेशी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया.