9 फरवरी को पुनः यह सिद्ध हो गया कि देश के प्रधानमंत्री तक आम आदमी की बात पहुंचती है और यदि बात में सार हो तो देश के प्रधानमंत्री उसे गंभीरता से सुनते भी हैं.
9 फरवरी को देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी ANI को दिए गए अपने 70 मिनट लंबे इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की मीडिया से प्रमुखता से यह प्रश्न पूछा कि एक धर्म को जातियों में बांटकर उसका विश्लेषण करने वाला मीडिया कभी दूसरे धर्म का विश्लेषण उसको उसकी जातियों में बांट कर क्यों नहीं करता ?
उल्लेख कर दूं कि बीती 30 जनवरी को इस मुद्दे पर इसी वेबसाइट पर इस संदर्भ में विस्तृत लेख लिख कर सबसे पहले यही सवाल मैंने उठाया था. (उस लेख का लिंक इस लेख के अंत में देखें)। मुस्लिमों में दलित एवं पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे डॉक्टर फैयाज अहमद फैजी के साथ 2 फरवरी को एक यूट्यूब चर्चा के दौरान हुई वार्ता में उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया था कि मैंने इस विषय को एक अलग दृष्टिकोण से उठाया है, जो बहुत महत्वपूर्ण है. इस मुद्दे की तरफ अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया था. डॉक्टर फैयाज की यह टिप्पणी साक्षी थी. इस तथ्य की कि दशकों से सरेआम हो रही इस सियासी मीडियाई बेईमानी पर सबसे पहले इसी वेबसाइट के द्वारा उंगली उठायी गयी थी.
9 फरवरी को वेबसाइट का वह प्रयास पूरी तरह सार्थक और सफल हुआ. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को विशेष रूप से इसलिए एक बार पुनः धन्यवाद कि आम आदमी की बात को वो अपने तक पहुंचने देते हैं और यदि बात में सार हो, बात सार्थक हो तो उसपर ध्यान भी देते हैं. उसे आवाज़ भी देते हैं।
30 जनवरी के लेख का लिंक.
http://media4citizen.com/InnerPage?Story_ID=5768