प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाये गये डिजिटल इंडिया मिशन से भारत को डिजिटली सक्षम बनाना था, जिससे देश को सुरक्षित और स्थिर डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विकास, सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप से वितरित करना और नागरिकों को डिजिटल साक्षरता प्रदान करना था. यह योजना देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि के साथ प्रौद्योगिकी की ओर का सराहनीय कदम है
लेकिन उत्तराखंड के पौड़ी जिला मुख्यालय,कालेश्वर मार्ग में 20 किमी दूर स्थित गुमाईं गांव के ग्रामीण आजतक मोबाइल नेटवर्क की समस्या के रहते डिजिटल इंडिया मिशन के पूर्ण लाभ से वंचित है.
दिल्ली के रहने वाले अर्जुन सिंह ने जब अपने इस पैतृक गांव में इस समस्या को देखा तो उन्होंने इस बाबत बीते वर्ष 30 नवम्बर को प्रधानमंत्री कार्यालय में लोक शिकायत प्रणाली के मध्यम से समस्या के समाधान की मांग भी उठाई थी. जिसपर गत रविवार दो जनवरी को उन्हें भारतीय संचार निगम हरिद्वार द्वारा जवाब प्राप्त हुआ, जिसमे बताया गया कि क्षेत्र की भौगोलिक पहाड़ी इलाके की स्थिति के कारण यह क्षेत्र आंशिक रूप से धनाऊ मल्ला बीटीएस से ढका हुआ है. इन क्षेत्रों में पूर्ण मोबाइल सिग्नल कवरेज प्रदान करने के लिए अतिरिक्त बीटीएस टावर की आवश्यकता है और वर्तमान में क्षेत्र में नया टावर बीटीएस स्थापित करने की कोई योजना नहीं है.
गांव में खराब नेटवर्क व्यवस्था के कारण अनेक छात्र-छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा में दिक्कत उठा रहे है. गांव के ही रहने वाले नीरज जो एक इंजीनियरिंग के छात्र है का कहना है कि वे डिप्लोमा पास आउट हैं पिछले साल अगस्त के महीने में दो कंपनियां कैंपस पूल के लिए आई थी लेकिन नेटवर्क की दिक्कत होने पर संपर्क नही हो सका जिसकी वजह से रोज़गार से चूक गए थे. जहां ऐसी समस्या नहीं है वहां के व्यक्ति करेंट अफेयर में भी उनसे आगे दिखाई देते है. लोग आज अधिकतर जानकारी मोबाइल से लेना पसंद करते हैं. यहां हमें दिक्कत होती है.
11वीं के छात्र संपूर्ण ने बताया कि गांव में ऑनलाइन शिक्षा में बहुत ही दिक्कत रहती है. गांव के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई इसके कारण प्रभावित हो रही है. गांव के प्रधान शंकर रावत बताते हैं कि मोबाइल नेटवर्क की समस्या के चलते ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पूर्व प्रधान वीरेंदर सिंह कहते हैं दुख सुख में अपनों से बात करना मुश्किल हो जाता है, जिसके रहते समय पर सहायता मिलना मुश्किल होता है. ख़राब नेटवर्क ग्रामीणों की समस्या को और बढ़ा देता है. ग्रामीणों को अक्सर रात दिन घरों से बाहर जाकर फोन पर बात करनी पड़ती है, जिसमे कई जंगली जानवरों के हमले और चोट लगने का खतरा बना रहता है. वही शिकायतकर्ता का कहना है आज इक्कीसवीं सदी में जहां मोबाइल तकनीक दुनिया को आपस में जुड़ने और अनेक प्रकार की सुविधाएँ देने का काम करती है वहां उनके गांव के लिए विभाग द्वारा जो जवाब दिया गया है वो निराशाजनक है और प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत के सपने को अधूरा करने का काम करता है.