डेंगू से भी खतरनाक जीका वायरस है. जीका विषाणु द्वारा होने वाला एक रोग है जो मच्छर के काटने से फैलता है. यह मच्छर जनित बीमारी है.
यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान प्रयागराज रेकी सेंटर पर स्पर्श चिकित्सा के प्रख्यात ज्ञाता सतीश राय ने कही. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां कोरोना के संक्रमण दर में कमी आ रही है, वहीं डेंगू एवं जीका वायरस तेजी से फैल रहा है. इसलिए सभी लोगों को डेंगू और जीका वायरस के प्रति जागरूक होना चाहिए क्योंकि दोनों ही वायरस मच्छर के काटने से होने वाली संक्रमण बीमारी है. अभी तक इन दोनों बीमारियों से बचने के लिए टीका या दवा का अविष्कार नहीं हुआ है. इन रोगों में दवा के माध्यम से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को ही विकसित कर उपचार किया जाता है.
श्री राय ने कहा की जीका वायरस की उत्पत्ति मूलतः अफ्रीका के जीका जंगल से हुई है. वहां के एक बंदर में यह वायरस पाया गया, उसी जंगल के नाम पर जीका वायरस रखा गया है. इस बीमारी में बुखार, त्वचा पर लाल निशान, जोड़ों में दर्द, आंखों का लाल होना, थकान, सिर दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. जीका का कोई उपचार नहीं है, लेकिन उसके लक्षणों को दवा से नियंत्रित करते हैं. पीड़ित को साफ सफाई के साथ एकांत में रख कर इस वायरस को फैलने से रोकते हैं. जीका वायरस गर्भवती स्त्रियों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होता है यह पेट में पल रहे बच्चे को गम्भीर नुकसान पहुंचाता है. जबकि डेंगू वायरस भी मच्छर के काटने से ही फैलता है. इसमें तेज बुखार, शरीर दर्द, सिर दर्द रहता है. इसमें एक हफ्ते तक तेज बुखार बना रहता है. इस बीमारी में शरीर की प्लेटलेट्स कम होने का खतरा बना रहता है, जो 10 हजार से नीचे आने पर जानलेवा साबित होता है. इसमें प्लेटलेट्स चढ़ाना ही एकमात्र विकल्प है. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के ठीक से कार्य करते ही प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ने लगता है और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है.
सतीश राय ने कहा कि डेंगू और जीका वायरस से बचाव के लिए अपने आसपास मच्छरों को पैदा ना होने दें. मच्छरों को नष्ट करने वाले कीटनाशक दवा का छिड़काव करें, अपने पूरे शरीर को कपड़े से ढक कर रखें, खुले शरीर पर नीम का तेल, गरी का तेल या कपूर मिश्रित तेल लगाएं. बीमारी से संक्रमित होने पर चिकित्सीय सहायता लेने के साथ अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें और भरपूर आराम करें.