वंदना कटारिया ने ओलम्पिक महिला हॉकी में हैट्रिक गोल दागकर रचा इतिहास
उत्तराखंड के एक छोटे से गांव रोशनाबाद की रहनेवाली वंदना कटारिया ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ मैच में 3 गोल दागकर इतिहास रच दिया। वंदना ओलम्पिक में हैट्रिक गोल लगाने वाली प्रथम भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी बन गयी हैं। उनके गोल की वजह से भारत की क्वार्टर फाइनल में पहुँचने की उम्मीद कायम है। वंदना पहले खो -खो प्लेयर बनना चाहती थीं लेकिन दौड़ने की स्पीड अच्छी होने के कारण उनहोंने हॉकी खेलना शुरू किया।
प्रारम्भ में उनके पास हॉकी ट्रेनिंग लेने के लिए पैसे नहीं थे। फिर इनके पिता नाहर सिंह कटारिया ने उधार लेकर वंदना को हॉकी ट्रेनिंग दिलवाई। टोक्यो ओलम्पिक से तीन माह पहले अप्रैल में वंदना के पिता का निधन हो गया था। इसके बाद वंदना ने पिता के लिए ओलम्पिक मेडल जीतने का लक्ष्य बना लिया।
2002 में वंदना ने राष्ट्रीय खो -खो प्रतियोगिता में शानदार रिकॉर्ड बनाया जिसके बाद कोच कृष्ण कुमार ने 11 साल की वंदना को हॉकी में उतारा। 2003 में हॉकी के कोच प्रदीप चिन्योटी वंदना को मेरठ ले आए। 2006 में केडी सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ में उन्होंने एडमिशन लिया और ट्रेनिंग शुरू की।
वंदना बताती हैं कि 2005 में उनहोंने उत्तरप्रदेश टीम से खेलना शुरू किया। 2011 में स्पोर्ट्स कोटे से रेलवे में उन्हें जूनियर TC की नौकरी लग गयी। 2010 में वंदना का नेशनल महिला हॉकी टीम में सेलेक्शन हो गया। 2013 में महिला हॉकी जूनियर वर्ल्ड कप में उनहोंने सबसे ज्यादा गोल दागे और टीम को ब्रॉन्ज़ मेडल मिला।
वंदना 2014 के एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने वाली इंडियन टीम का भी हिस्सा रही। वंदना भारत के लिए 218 मैच खेल चुकी हैं और 58 गोल भी किये हैं। 2021 में उन्हें अर्जुन अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था।