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भारत : और संग चुनौतियां

साल 2019 में दुनिया ने एक ऐसी आपदा का सामना किया जिसने मानवीय इतिहास को covid से पहले और covid के बाद की दुनिया में विभक्त कर दिया. इसकी शुरुआत भले ही चीन के वुहान शहर से हुई हो लेकिन इंसानो में ये वायरस प्राकृतिक तौर पर जानवरों से या किसी साजिश के तहत फैलाया गया. ये आज भी जानकारों के बीच एक अबूझ पहेली बना हुआ है. हालिया सम्पन्न G7 की बैठक में भी covid के ओरिजिन को लेकर एक पारदर्शी बैठक की माँग की गयी।

और संग चुनौतियां
और संग चुनौतियां

विज्ञान और प्रौद्योगिकी:- Biosecurity
साल 2019 में दुनिया ने एक ऐसी आपदा का सामना किया जिसने मानवीय इतिहास को covid से पहले और covid के बाद की दुनिया में विभक्त कर दिया. इसकी शुरुआत भले ही चीन के वुहान शहर से हुई हो लेकिन इंसानो में ये वायरस प्राकृतिक तौर पर जानवरों से या किसी साजिश के तहत फैलाया गया. ये आज भी जानकारों के बीच एक अबूझ पहेली बना हुआ है.
हालिया सम्पन्न G7 की बैठक में भी covid के ओरिजिन को लेकर एक पारदर्शी बैठक की माँग की गयी।

Biosecurity क्या है :- Biosecurity या जैव सुरक्षा एक ऐसी रणनीति है जिसमे मानव, जानवरों और पौधों के स्वास्थ्य और उससे सम्बन्धित खतरों को प्रतिबंधित करने की बात की जाती है। यह इस तथ्य पर आधारित होती है कि मानव, जानवरों और पौधों के बीच एक लिंकेज है जिससे खतरे भी एक दूसरे तक पहुंच सकते हैं। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर biosecurity के लिए किये गए प्रावधानों को परखा जाता है। किसी भी स्तर मसलन रेगुलेशन, तकनीकी और निगरानी में कोई कमी या खामी न हो इसे परखा जाता है। इसका अंतिम मकसद मानवीय स्वास्थ्य और कृषि उत्पादन व्यवस्था और इसपर निर्भर उद्योगों की सुरक्षा ही होता है।

दूसरे शब्दों में देखे तो जैव सुरक्षा कृषि की स्थिरता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के व्यापक पहलुओं और जैविक विविधता सहित पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक समग्र अवधारणा है।

लक्ष्य :- मानव जीवन और स्वास्थ्य जानवरो का जीवन और स्वास्थ्य और पौधों का जीवन और स्वास्थ्य इसमें शामिल हैं। इसके अलावा मानवीय जीवन के साथ, खाद्य सुरक्षा और पौधों के साथ वनों को भी शामिल किया गया है। इसकी परिभाषा biosafety से मेल खाती है इसलिए कई बार इन दोनों शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ में कर दिया जाता है लेकिन इन दोनों शब्दों में अंतर है।

Biosafety और biosecurity में अंतर:-
Biosafety में उन प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है जो कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नकारात्मक तौर पर प्रभावित होने से बचने के लिए जरुरी है।
जबकि Biosecurity में जान बूझकर या गलत तरह से हैंडलिंग की वजह से पर्यावरण में जैविक पदार्थों को रोकना शामिल है।


Biosecurity के तहत खतरे :-
खाद्य पदार्थों में किसी जैविक, रासायनिक और भौतिक पदार्थ के मिलने से खाने पर पड़ने वाला प्रभाव। यह स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने के लिए भी जिम्मेदार है।

Biosecurity का महत्व :-
Biosecurity प्रत्यक्ष तौर पर सतत कृषि, सुरक्षित खाद्यान्न उत्पादन और पर्यावरण एवं Biodiversity की सुरक्षा से सम्बंधित है।
गौरतलब है कि भारत की एक बड़ी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, जबकि कृषि व्यापार में उदारीकरण की नीति अपनायी गयी है ऐसे में विदेशी कीटों और खर पतवार का भी खतरा बढ़ रहा है जो कि खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।
वर्तमान में भारत टिड्डी, फाल आर्मीवार्म जैसे कीटों का भी सामना कर रहा।
वर्तमान में चल रहे covid जैसे जैविक संकट भी चेतावनी देते हैं कि biosecurity के बिना किस स्तर की तबाही हो सकती है।
covid जैसे संकट Biosecurity की महत्ता को और बढ़ाते हैं ऐसे संकटों से वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गयी है।
तकनीक के स्तर पर हुई प्रगति ने microbiology की सहायता से बेहद खतरनाक कंपाउंड तैयार करने की शक्ति मानव को दी है जिससे bioterrorism का खतरा कल्पना की शक्ति से भी परे है।
ऐसे में biosecurity की रणनीति बेहद महत्व रखती है।

भारत के प्रयास:-
2013 में The agricultural security bill लाया गया जिसमे agricultural biosecurity council बनाने की बात की गयी।
यह पौधों और जानवरो को कीटों से बचने का प्रयास करेगी।
इसका मकसद कृषि जैव विविधता को बनाये रखना है। भारत Biological and toxins weapons connvention (B T W C )ऑफ़ 1972 का हस्तक्षर कर्त्ता देश'बना।
2004 में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग ने भी Biosecurity को आमतौर पर स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिहाज से देखा जाता है। सरकार की विभिन्न संस्थाएँ इस दिशा में प्रयासरत हैं।

चुनौतियां :-
पहली चुनौती ऑफेंसिव और डिफेंसिव बायोलॉजिकल एजेंट्स की पहचान की है।

लैब्स में काम कर रहे शोधकर्ता नए तरह के biological एजेंट्स को लेकर सजग नहीं रह पाते।

Biosecurity बिल को अभी मंजूरी नहीं मिली है.

भारत में Biosecurity के उपायों को लेकर एकरूपता का भी अभाव है।

वैक्सीन में देरी, निदान के लिए दवाओं का अधिक प्रयोग ब्लैक फंगस, वाइट फंगस, जैसे रोगों को भी जनम देता है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पारदर्शिता और सहयोग का अभाव भी एक बड़ी चुनौती 

आगे की राह:-
Biosecurity के लिए एक 'National vision' पर काम हो जिसपर सभी हितधारक समूहों की सहमति हो.

पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

राष्ट्रीय स्तर पर जोखिम आधारित प्राथमिकताओं को स्थापित करने के लिए एक व्यवस्था बने.

अंतर्राष्ट्रीय जैव सुरक्षा दायित्वों को मान्यता दी जाये

राष्ट्रीय हितों का प्रभावी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

भारत को वैश्विक जैव सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की दरकार है.

 


Published: 13-07-2021

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